झड़ी
बदरा से जल की झड़ी लगी ,इतना जल बरसा कि ,
सागर की लहरें उफ़न चलीं ,तट की ओर ,
सागर ने बाँह पकड़ रोका ,वापस अपनी राह लौटाया |
सागर की गहराई बहुत ही ,लहरों की ऊँचाई बहुत ही ,
कूद -कूद कर लहरें खेलें ,सागर का भी दिल खुश होता ,
लहरें उसकी दोस्त हैं घनी ,
उनकी ख़ुशी तो है सागर की ख़ुशी |
सागर के दिल में है छिपा ,
लहरें सोचें लिए खजाना हम चलें बाहर ,
मगर वज़न ले चलना मुश्किल ,
वापस चलीं सागर की ओर ,
वापस चलीं सागर की ओर |