मेरा प्याला
कहाँ है वो साकी , जो ढाल दे इक जाम ,
सागर में बंद मय से , छलका दे मेरा प्याला ।
सागर किनारे बैठ , लहरों से खेलती ,
सागर है भरा मेरा , खाली मेरा प्याला ।
सागर में बंद मय , लहरें ये सागर की ,
दोनों हैं उन्मत्त , दोनों नशीली हैं , मगर खाली मेरा प्याला ।
साकी जो आएगा , सागर को खोलेगा ,
ढल्कायेगा मय को , छल्कायेगा प्याला ।
मय बंद सागर में , ना सागर नशीला है ,
ढलकी जो प्याले में , छलक उट्ठा है प्याला ।
आया वो साकी है , ढल्कायी मय उसने ,
ढलकते ही मय उसमें , छलका मेरा प्याला ।
छलकता हुआ प्याला , पहुँचा है होठों तक ,
मय ने भिगोया दिल को , और खाली हुआ प्याला ।
डूबा दिल नशे में , ये नशा किसका था ?
अगर मय नशीली है तो , नाचा ना क्यों प्याला ?
नशा तो सागर में भी है , तभी लहरें हैं चंचला ,
उन्मत्त हैं लहरें , और खाली नहीं प्याला ।
कहाँ है वो साकी , जो ढाल दे इक जाम ,
सागर में बंद मय से , छलका दे मेरा प्याला ।
सागर किनारे बैठ , लहरों से खेलती ,
सागर है भरा मेरा , खाली मेरा प्याला ।
सागर में बंद मय , लहरें ये सागर की ,
दोनों हैं उन्मत्त , दोनों नशीली हैं , मगर खाली मेरा प्याला ।
साकी जो आएगा , सागर को खोलेगा ,
ढल्कायेगा मय को , छल्कायेगा प्याला ।
मय बंद सागर में , ना सागर नशीला है ,
ढलकी जो प्याले में , छलक उट्ठा है प्याला ।
आया वो साकी है , ढल्कायी मय उसने ,
ढलकते ही मय उसमें , छलका मेरा प्याला ।
छलकता हुआ प्याला , पहुँचा है होठों तक ,
मय ने भिगोया दिल को , और खाली हुआ प्याला ।
डूबा दिल नशे में , ये नशा किसका था ?
अगर मय नशीली है तो , नाचा ना क्यों प्याला ?
नशा तो सागर में भी है , तभी लहरें हैं चंचला ,
उन्मत्त हैं लहरें , और खाली नहीं प्याला ।
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