मेरी दुनिया
सागर तेरे तट पर मैं ,
आ बैठी दीवानी सी ,
चंचल लहरें तेरी सागर ,
लगीं नहीं बेगानी सी ।
खारा पानी हो तेरा ,
पर तू है रत्नों का आकर ,
नहीं भूल सकता कोई तुझको ,
तेरे तट से वापिस लौटाकर ।
तेरा प्यार छिपा लहरों में ,
छू जातीं वो तन मेरा ,
पर तू क्या ये जान भी पाया ,
भीग गया है मन मेरा ।
चंचल - चंचल सी शोर मचाकर ,
पलट - पलट कर हैं आतीं ,
अपने भीगे स्वर से सागर ,
तन - मन को झंकृत कर जातीं ।
तू तो मेरा दोस्त बना है ,
ये लहरें मेरी सखियाँ हैं ,
प्यार तुम्हारा देख के लगता ,
ये ही तो मेरी दुनिया है ।
ये ही तो मेरी दुनिया है ।
आ बैठी दीवानी सी ,
चंचल लहरें तेरी सागर ,
लगीं नहीं बेगानी सी ।
खारा पानी हो तेरा ,
पर तू है रत्नों का आकर ,
नहीं भूल सकता कोई तुझको ,
तेरे तट से वापिस लौटाकर ।
तेरा प्यार छिपा लहरों में ,
छू जातीं वो तन मेरा ,
पर तू क्या ये जान भी पाया ,
भीग गया है मन मेरा ।
चंचल - चंचल सी शोर मचाकर ,
पलट - पलट कर हैं आतीं ,
अपने भीगे स्वर से सागर ,
तन - मन को झंकृत कर जातीं ।
तू तो मेरा दोस्त बना है ,
ये लहरें मेरी सखियाँ हैं ,
प्यार तुम्हारा देख के लगता ,
ये ही तो मेरी दुनिया है ।
ये ही तो मेरी दुनिया है ।
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