छंद मुखरित
बोल सब बिखर गए ,
सब किधर - किधर गए ,
जिन्दगी की राह में ,
रंग सब बिखर गए ।
वक़्त बीतता रहा ,
व्यस्त सभी हो गए ,
सुध नहीं साथियों की ,
सब कहाँ खो गए ।
आयी एक उजली किरन ,
लायी संदेसा आस का ,
मिलें शायद बिखरे पात ,
चिह्न मिला पास ( password ) का ।
कदम बढ़ने लगे, धीरे - धीरे ,
मिले साथी , हौले - हौले ,
बोल गुंजित हो गए ,
छंद मुखरित हो गए ,
सब किधर - किधर गए ,
जिन्दगी की राह में ,
रंग सब बिखर गए ।
वक़्त बीतता रहा ,
व्यस्त सभी हो गए ,
सुध नहीं साथियों की ,
सब कहाँ खो गए ।
आयी एक उजली किरन ,
लायी संदेसा आस का ,
मिलें शायद बिखरे पात ,
चिह्न मिला पास ( password ) का ।
कदम बढ़ने लगे, धीरे - धीरे ,
मिले साथी , हौले - हौले ,
बोल गुंजित हो गए ,
छंद मुखरित हो गए ,
रंग फिर से खिल गए ,
बिछुड़े साथी मिल गए ।
बिछुड़े साथी मिल गए ।
लंबा ये बिछोह था ,
चार दशक बीत गए ,
सभी के सभी साथी ,जाने कहाँ ? उड़ - उड़ - उड़ गए ।
आज सब फिर से मिले ,
मौन मुखरित हो गए ,
केश काले अलगाव में ,
उजले - उजले हो गए ।
आज इस स्थान में ,
सब मिले एक साथ हैं ,
स्वागत सभी का है यहाँ ,
स्वागत सभी का है यहाँ ।
चार दशक बीत गए ,
सभी के सभी साथी ,जाने कहाँ ? उड़ - उड़ - उड़ गए ।
आज सब फिर से मिले ,
मौन मुखरित हो गए ,
केश काले अलगाव में ,
उजले - उजले हो गए ।
आज इस स्थान में ,
सब मिले एक साथ हैं ,
स्वागत सभी का है यहाँ ,
स्वागत सभी का है यहाँ ।
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