सुरीला सागर
सरस सागर सुरीला है ,
सुर सुनने को तरसे दिल ,
पैर के नीचे है रेत गीली ,
फिर भी ठंडक पाने को तरसे दिल ।।
चंचला लहरें बढ़ा के हाथ आती हैं ,
खनकती , छनकती और मुस्काती हैं ,
उनकी उस मुस्कान ही के कारण तो ,
हाथ मिल पाने को तरसे दिल ।।
बढ़ाता सागर भी आगे कदम अब तो ,
रंग सागर के खिल उठते हैं अब तो ,
सागर की मधुर झंकार में ही तो ,
डूब जाने को तरसे दिल ॥
सागर भले हो खारा पानी अपने में समाए ,
हजारों रत्नों को दिल में छिपाए ,
पानी को मीठा कर पाने का ही ,
एक मौक़ा पाने को तरसे दिल ॥
सोना हो उठता है सागर ,
जब भी सूरज दहकता है ,
सोने की उस दमक को देखकर तो ,
पिघल जाने को तरसे दिल ॥
सरस सागर सुरीला है ,
सुर सुनने को तरसे दिल ,
पैर के नीचे है रेत गीली ,
फिर भी ठंडक पाने को तरसे दिल ।।
चंचला लहरें बढ़ा के हाथ आती हैं ,
खनकती , छनकती और मुस्काती हैं ,
उनकी उस मुस्कान ही के कारण तो ,
हाथ मिल पाने को तरसे दिल ।।
बढ़ाता सागर भी आगे कदम अब तो ,
रंग सागर के खिल उठते हैं अब तो ,
सागर की मधुर झंकार में ही तो ,
डूब जाने को तरसे दिल ॥
सागर भले हो खारा पानी अपने में समाए ,
हजारों रत्नों को दिल में छिपाए ,
पानी को मीठा कर पाने का ही ,
एक मौक़ा पाने को तरसे दिल ॥
सोना हो उठता है सागर ,
जब भी सूरज दहकता है ,
सोने की उस दमक को देखकर तो ,
पिघल जाने को तरसे दिल ॥
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