चंदा - 1 ( अँधेरे --- उजियारे ) अंतिम भाग
पवन चली सनन -सनन , रात के गलियारों में ,
तारों की टोली है चली , गगन के अंधियारों में ।
पूरा का पूरा , आकाश झिलमिला रहा ,
तारों की झिलमिल से , दीप जले अंधियारों में ।
चाँद रहा तन्हा , आकाश के आँगन में ,
तारों की तो बारात है , रात के अजनारों में ।
तन्हा है चाँदनी भी , तारों के बीच में ,
मिलेगा साथ क्या , गगन के गुलजारों में ।
खिल गया चाँद और , फ़ैल गयी चाँदनी ,
बन गए हैं दोस्त दो , रात के गलियारों में ।
हाथ पकड़ चाँद का , उतरी है धरा पर ,
हर तरफ है चमक - चमक , नयनों के उजियारों में ।
धरा ने ओढ़ी चूनर , झिलमिल सितारों वाली ,
चमकीली चमक ने , चमकाया है गुलजारों में ।
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