Sunday, May 12, 2013

ANDHERE --- UJIYAARE

     
    चंदा - 1 ( अँधेरे --- उजियारे ) अंतिम भाग 

  पवन चली सनन -सनन , रात के गलियारों में ,
  तारों की टोली है चली , गगन के अंधियारों में ।

   पूरा का पूरा ,   आकाश  झिलमिला रहा ,
  तारों की झिलमिल से , दीप जले अंधियारों में ।

   चाँद रहा तन्हा ,  आकाश के आँगन में ,
   तारों की तो बारात है , रात के अजनारों में ।

   तन्हा है चाँदनी भी , तारों के बीच में ,
   मिलेगा साथ क्या , गगन के गुलजारों में ।

   खिल गया चाँद और , फ़ैल गयी चाँदनी ,
   बन गए हैं दोस्त दो , रात के गलियारों में ।

   हाथ पकड़ चाँद का , उतरी है धरा पर ,
   हर तरफ है चमक - चमक , नयनों के उजियारों में ।

   धरा ने ओढ़ी चूनर , झिलमिल सितारों वाली ,
   चमकीली चमक ने , चमकाया है गुलजारों  में ।  
 
 
 

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