गुनगुनाएँगी कलियाँ
मुस्कुराओ जो तुम महक जाएँगी कलियाँ ,
पास आओ जो तुम चटक जाएँगी कलियाँ , छू लो जो मन मेरा - ए - मेरे हमदम ,
जगमगाते दीपों से भर जाएँगी गलियाँ ||
रिमझिम से बदरा बरसते हैं जाते ,
दामिनी के संग गरजते हैं जाते ,
लौट आओ जो इस मौसम में अँगना ,
दामिनी के संग गरजते हैं जाते ,
लौट आओ जो इस मौसम में अँगना ,
सावन के गीत गुनगुनाएँगी कलियाँ ||
भीगेगा तन मेरा रिमझिम बरखा से ,
झूलेगा मन मेरा सावन की पुरबा से ,
होठों पर गीत होंगे सावन के झूलों के ,
होठों पर गीत होंगे सावन के झूलों के ,
आँखों में भी चमचमाएँगी बिजलियाँ ||
बदरा समझते हैं तपिश इस धरा की ,
तभी तो बूँदों की रिमझिम झड़ी देते ,
धरती भी देती उन्हें शुक्रिया तब ,
खिला देते बदरा जब नन्हीं सी कलियाँ ||
आ जाओ तुम भी इस रिमझिम मौसम में ,
प्यार के झूले पड़ जाएँगे बगियन में ,
पंछी की चहचहाहट भी गूँज जाए बगियन में ,
मन - मयूर नाच उठे जो उड़े फूलों पे तितलियाँ ||
रंगों भरा इन्द्रधनुष , चमक जाए गगन में ,
दामिनी की चमकार और गर्जना गरज जाए ,
फैले हरियाली खेतों और बगियन में ,
सारी शोभा को निहार के , नाच उठें अँखियन की पुतलियाँ ||
प्यार फूलेगा इस मौसम में , रिमझिम बरसात में ,
झूम उठेगा मन - मयूर भी , बदरा की गर्जात में ,
रूप चमक उठेगा फूलों का , गुलशन की क्यारी महकेगी ,
ऐसे सुंदर मौसम में तो , उड़ती जाएँगी लाखों तितलियाँ ||
समय - चक्र चलते - चलते , रंग नए दिखलाएगा ,
जीवन - पथ पर भी तो साजन , नया सवेरा आएगा ,
हम मिल - जुल कर जीवन के , खोजेंगे आयाम नए ,
उन आयामों के बीच में ही तो , चमक उठेंगी अनगिनत बिजलियाँ ||
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