Tuesday, February 22, 2022

CHAL RAHE ( RATNAKAR )

 

              चल रहे 

 

रत्नाकर तुम चले कहाँ ? 

रत्नाकर तुम पले कहाँ ? 

कहीं तो तुम पल रहे ,

कुछ तुम्हारे अंदर पल रहे | 

 

ऊँचे पर्वतों से नदियाँ आतीं ,

ठंडा और मीठा जल लातीं ,

वही नदियाँ तुम्हें पालतीं रत्नाकर ,

मगर अनेक जीव तुम्हारे अंदर पल रहे | 

 

सभी जीव हलचल लाते हैं ,

लहरें उथल -पुथल करती हैं ,

मगर तुम  तो शांत प्रकृति ,

शांत भाव से तुम तो चल रहे | 


नहीं कह सकते तुमसे हम ,

कभी तो अशांत हो जाओ तुम ,

तुम गर रत्नाकर हुए अशांत ,

दूर -दूर तक लाखों जीव सो जाएँगे ,

कहीं ,कोई ना कह पाएगा ,हम चल रहे | 


ऐसे तो रत्नाकर ,तुम शांत ही अच्छे ,

चंचल लहरों की चंचलता में छिपे ,

खारे पानी का भंडार लिए ,

धीमी चाल में तुम चल रहे | 


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