Saturday, February 12, 2022

LUKA CHHUPI ( JIVAN )

 

                  लुका छुपी 

 

अनजानी नगरी के ,अनजाने रास्ते ,

लुका छुपी खेलें तो ,खेलें कहाँ ? 

संगी ना साथी हैं ,सखियाँ ना दोस्त हैं ,

खेलें तो खेलें कहाँ ? 

 

आ तो गए हैं हम ,अनजानी नगरी ,

चलती नहीं है ,भागती है नगरी ,

बगिया ना पार्क हैं ,

खेलें तो खेलें कहाँ ? 

 

इमारतें हैं ऊँची -ऊँची ,

भीड़ है भारी यहाँ ,

आँगन ना ,दरीचे हैं ,

खेलें तो खेलें कहाँ ? 

 

बचपन का खेल है ये ,

साथियों का मेल है ये ,

पचपन में लुका छुपी ,

बुलाओ तुम ,आओ तुम ,

खेल लें थोड़ी देर ,तो मगर ,

खेलें तो खेलें कहाँ ? 

 

 

 

No comments:

Post a Comment