लिख दूँ क्या ?
कहो मेरे साजना ,
मैं लिख दूँ कहाँ तेरा नाम ?
बदरा पे लिख दूँ क्या ?
वह तो चमकेगा ,दामिनी की तरह ,
दुनिया सारी देखेगी और मुस्काएगी |
गगन पे लिख दूँ क्या ?
मगर ना दिन को दिखेगा ,ना रात को ,
दिन में धूप में छिपेगा और रात में अंधकार में ,
दुनिया क्या देखेगी ?और कैसे मुस्काएगी ?
फूलों पे लिख दूँ क्या ?
मगर रंगों में छिप जाएगा ,
तितली के पंखों में छिप जाएगा ,
दुनिया तो फूलों को देख मुस्काएगी |
तितली के पंखों पर लिख दूँ क्या ?
मगर तितली तो चंचल हैं ,
उड़ती जाएगी यहाँ से वहाँ और वहाँ से यहाँ ,
मगर दुनिया तो उस चंचला को देख मुस्काएगी |
दिल पे लिख दूँ क्या ?
वहाँ तो लिखा ही है साजना ,
मगर वहाँ तो कोई नहीं देख पाएगा ,
दुनिया क्या देख कर मुस्काएगी ?
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