Saturday, February 26, 2022

SAVAN MEIN PHAAGUN ( GEET )

 

             सावन में फागुन 


सावन की रिमझिम बरखा में ,

याद आया मुझे पिछला फागुन ,

जीने की नहीं तमन्ना है ,

फागुन मुझको भी लेता जा | 

 

हर साल मनाती थी तुझ को ,

हर बार सजी थी रंगों से ,

सखियों का रंग वो  कच्चा था ,

तू साथ में उस को लेता जा | 


थी आस पिया के मिलने पर ,

 तुझ को फिर और मनाऊँगी ,

पर आज खड़ी हूँ राहों में ,

जीवन तू मेरा लेता जा | 

 

हर बार अगर तू आया था ,

और मैंने तुझे मनाया था ,

फिर  अब क्यों तूने आ कर के ,

कच्चे रंग लगा कर के ,

तूने मुझे तड़पाया था | 


काश ना अब की तू आता ,

मैं खुद आ जाती तेरे पास ,

ऐसा जो गर हो जाता तो ,

रहती ना अधूरी मेरी प्यास | 


मेरी खुशियों को लेकर के ,

मुझको छोड़े क्यूँ जाता है ,

जब खुशियाँ छीन चला है तू ,

तो जीवन को भी लेता  जा | 




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