Wednesday, October 26, 2022

BHAR DO PRAAN ( AADHYATMIK )

 

                     भर दो प्राण 

 

चलती जाए मेरी लेखनी ,ऐसा दो वरदान ,

प्रभु जी मेरी ,लेखनी में भर दो प्राण | 


शब्द हों सुंदर ,भाव भरे हों ,

जीवन की ,साँसों  से भरे हों ,

पढ़ने वालों के होठों पर ,आ जाए मुस्कान ,

प्रभु जी मेरी ,लेखनी में भर दो प्राण | 


प्यार में डूबे हों ,शब्द रसीले ,

हों दुलार में ,गीले - गीले ,

पढ़ने वालों की आँखों में ,आ जाए चमकान ,

प्रभु जी मेरी ,लेखनी में भर दो प्राण | 


शब्दों से दिल ,धड़का जाए ,

महकी हुई सी ,राह दिखाए ,

पढ़ने वालों के दिलों में हो,मीठी सी धड़कान ,

प्रभु जी मेरी ,लेखनी में भर दो प्राण | 


गीतों में मेरे ,जीवन भर जाए ,

प्यार में डूबकर ,वो छलछलाएँ ,

पढ़ने वाले उन गीतों का ,दिल से कर लें गान ,

प्रभु जी मेरी ,लेखनी में भर दो प्राण | 


Monday, October 24, 2022

BHAREE - BHAREE ( AADHYATMIK )

 

                            भरी - भरी 


दिया है उसने हमको खूब ,झोली लबालब है भरी ,

नसीबा लिख दिया उसने ,राहें उजियारों से हैं भरीं | 


हम हैं नसीबों वाले ,जो थामा है उसने हाथ  ,

उसी के सहारे से तो , राहें मखमल से हैं भरीं | 


चमकते दीयों से है घर रोशन ,नयनों में चमक आई ,

इसी चमक से तो घर की हर दीवार ,चमक से है भरी  | 


कमी ना देने में उसने की ,भर - भर  के दिया उसने ,

हमने भी प्यार से ,मुस्कान से ,सब कुछ समेटा है ,

तभी तो आज दुनिया हमारी ,खुशियों से है भरी -भरी | 



Saturday, October 22, 2022

DOOJAA PYAAR ( PREM )

 

                    दूजा प्यार 


पहला प्यार है पिया मेरे ,मेरा पूरा परिवार है मेरे लिए ,

दूजा प्यार प्रकृति है ,जिसको रचा है ईश्वर ने | 


उसने बनाया प्यार से अपनी ,इस सारी रचना को ,

प्यार से उसे रंग -रूप दिया ,प्यार से उसे सजा दिया | 


वही है मेरा दूजा प्यार ,जिंदगी का जिसने किया सिंगार ,

उसी प्रकृति को प्यार की ,डोरी से बाँधा हमने | 


हमने क्या ? उसी प्रकृति ने अपनी ,सुंदरता से हमें लुभाया ,

अपना बनाया ,प्यार बढ़ाया ,जीने का अंदाज सिखाया | 


आओ दोस्तों ! मिलो मेरे ,इस दूजे सुंदर प्यार से ,

मेरी आस ,मेरे विश्वास से ,अगर हम प्यार और सम्मान ,

देंगे इसे ,यानि प्रकृति को ,तो वह भी देगी हमें ,

अपना प्यार ,अपना सुंदर स्वरूप  ,अपनी मीठी धूप | 

 

Tuesday, October 18, 2022

HAI PHAANII ( KSHANIKA )

 

                            है फानी 


जुनून -ए -इश्क ने ,जीवन को रंगीं कर दिया ,

प्यार के रंग में डुबाकर ,जीवन को प्यारा कर दिया | 


वरना जीवन तो ,अनिश्चित सी   कहानी है ,

किधर को बह जाएगी ,नदिया की रवानी है?

ना जाने किस मोड़ पर मुड़ जाएगी ? 

ना जाने किसको साथ में ले जाएगी ? 

धीमी सी लहर आएंगी ,या ये एक दरिया तूफानी है ? 


प्यार और इश्क में जीवन बीत जाए ,ऐसा तो कुछ भी नहीं है ,

ये तो संघर्षों से जूझते हुए दिलों की कहानी है ,

हर क्षेत्र में संघर्ष ही भरे हैं साहब ,

हर क्षेत्र में संघर्षों की ही रवानी है | 


बड़े से मोड़ पर ,मुड़ जाए गर जीवन ,

तो बड़ा बदलाव आता है ,

सब कुछ है बदल जाता ,दिल -औ -दिमाग भी साहब ,

बदल कर सब कुछ बदल देता ,तभी तो यह लगता है ,

यह दुनिया सच में फानी है ,साहब सच में फानी है | 


Thursday, October 13, 2022

SAAGAR ALBELAA ( RATNAKAR )

  

                 सागर अलबेला 


लहर -लहर लहराता आया ,सागर मेरा अलबेला ,

शांत हृदय ,चंचल लहरें ले आया ,सागर मेरा अलबेला | 


रत्नों का भंडार समेटे आया ,सागर मेरा अलबेला ,

दुनिया को जीवन देता आया ,सागर मेरा अलबेला | 


पानी का भंडार वो लाया ,सागर मेरा अलबेला ,

अंदर अनेक रहस्य छिपाए आया ,सागर मेरा अलबेला | 


नदियाँ लातीं मीठा पानी ,उसे ही खारा करता वह ,

नमक कहाँ से लेके आया ? सागर मेरा अलबेला | 


कैसे उपजा उसमें जीवन ? ये रहस्य ना जाने कोई ,

खारे पानी  में ही जीवन लाया ,सागर  अलबेला | 


Monday, October 10, 2022

JIVAN GRIHANI KA ( KSHANIKA )

 

 

                       जीवन  गृहणी का  


एक कहावत सुनी बहुत थी ,

" बिन घरनी घर भूत का डेरा ",

सच है ये कहावत ,जरा देखो घर छड़ों का बंधु | 


गृहणी सँवारे घर को ,बनाए घर एक मकान को ,

घर में रहने वाले हर प्राणी की ,इच्छा समझे ,पूरी करे ,

क्या अन्य कोई कर सके बंधु ? 


एक सजा ,सँवरा घर एक खुश्बुओं से महकता घर ,

एक मुस्कानों से भरा घर ,किलकारियों से भरा घर ,

क्या अन्य कोई कर सके बंधु ? 


दिन के चौबीस घंटे ,महीने के तीसों दिन ,

साल के तीन सौ पैंसठ दिन ,अनवरत कार्य करे ,

क्या अन्य कोई कर सके बंधु ? 


मगर उसी गृहणी को ,इसका क्या फल मिले ?

कोई ना तनख्वाह ,कोई ना बोनस ,कोई ना छुट्टी ,

क्या अन्य कोई कर सके बंधु ? 


जरा समझो बंधु ,प्यार दो ,दुलार दो ,

मान दो ,सम्मान दो ,उसके चेहरे पे खिलती मुस्कान दो ,

आप इतना तो करो बंधु ,

आप इतना तो करो बंधु | 


Sunday, October 9, 2022

RIMJHIM ( JALAD AA )

 

                 रिमझिम 


अरे बदरा ! आया तू अचानक ,दामिनी की चमकार लिए ,

चमकार के साथ -साथ ही ,दामिनी की गर्जनार लिए | 

 

छम -छम ,छम -छम बरखा बरसी ,पानी फैला चारों ओर ,

उस पानी में तैरें बच्चों की ,कागज की नावें चहुँ ओर | 

 

बच्चे गाएँ - " रेन -रेन गो अवे ",ताली खूब बजाएँ बच्चे ,

बच्चों के बारे में सोचो ,बच्चे होते हैं मन के सच्चे | 

 

बदरा ने भी साथ दिया बच्चों का ,

रिमझिम -रिमझिम बरखा भेजी ,

मानो बदरा ने बच्चों के लिए ,प्यार भरी पाती भेजी | 

 

बच्चे फूले ख़ुशी में बंधु ,बदरा भी ख़ुशी में फूला है ,

नृत्य दिखाया दामिनी ने ,बच्चों का मन भी भरमाया | 

 



Wednesday, October 5, 2022

RAAT BHAR ( CHANDRAMAA )

 

                रात भर 


चंद्रमा झाँका गगन में ,मुस्का के झाँका गगन में ,

सखि ! तुम कहाँ छिपी हो ? 

खिड़की में तो आओ जरा | 


निकली मैं खिड़की के पास ,

मुस्कुरा उठी मैं देख के चंद्रमा ,

अरे! सखा तुम आ गए हो ,

हँस पड़ा मेरा सखा चंद्रमा | 


कैसी हो सखि तुम ? बहुत दिन हुए मिले तुमसे ,

हाँ ! सखा आए नहीं हो तुम ,

इसी से हम मिल ना पाए तुमसे | 


मेरा तो सखि हर दिन ऐसा ही ,

हर दिन नहीं आ पाता हूँ ,

तुम भी तो नहीं खिड़की पे आतीं ,

क्योंकि मैं तो रोज़ नहीं आता हूँ | 


छोड़ो ये बातें सखा तुम ,

अंदर आओ इसी खिड़की से तुम ,

दोनों मिल बैठेंगे रात भर ,

बातें खूब करेंगे रात भर |