श्यामल बदरा
श्यामल - श्यामल बदरा , उतरते जा रहे धरा पर ,
हैं कोमल फूल से , मगर हल्के हैं ये तो पंख से ।
बिना पंखों के भी उड़ते हैं , ऐसे श्यामल बदरा ,
रवि की रश्मियों की चमक से , उजियाले से श्यामल बदरा ।
रंग श्यामल सा , धूमिल सा मगर ,
दामिनी की चमक से भरे , चमकीले से बदरा ।
स्वयं का स्वर , है नहीं मगर ,
दामिनी की कड़क से गुंजे से , सस्वर से ये बदरा ।
हल्के से पवन के झोंके भी , ले उड़ते इन्हें ,
हैं मगर गगन - चुम्बी ये , तेरे - मेरे बदरा ।
रख कदम बदरा की , पालकी में सखी - री ,
और करती हूँ गगन की सैर , सखी संग बदरा ।
बीच तारों के जो , झिलमिलाया आँचल ,
सज गयीं दुल्हन सी , हम सखियाँ - ओ बदरा ।
श्यामल - श्यामल बदरा , उतरते जा रहे धरा पर ,
हैं कोमल फूल से , मगर हल्के हैं ये तो पंख से ।
बिना पंखों के भी उड़ते हैं , ऐसे श्यामल बदरा ,
रवि की रश्मियों की चमक से , उजियाले से श्यामल बदरा ।
रंग श्यामल सा , धूमिल सा मगर ,
दामिनी की चमक से भरे , चमकीले से बदरा ।
स्वयं का स्वर , है नहीं मगर ,
दामिनी की कड़क से गुंजे से , सस्वर से ये बदरा ।
हल्के से पवन के झोंके भी , ले उड़ते इन्हें ,
हैं मगर गगन - चुम्बी ये , तेरे - मेरे बदरा ।
रख कदम बदरा की , पालकी में सखी - री ,
और करती हूँ गगन की सैर , सखी संग बदरा ।
बीच तारों के जो , झिलमिलाया आँचल ,
सज गयीं दुल्हन सी , हम सखियाँ - ओ बदरा ।
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