अंजाना - पहचाना
राहें भी हैं अजनबी सी रस्ता भी है अन्जाना ,
पग साथ तू बढ़ा ले ,
कुछ तो लगे पहचाना ॥
रुक गए तेरे कदम क्यों ?
क्या सोचने लगे तुम ?
जो मेरा हाथ थामो ,
बन जाए इक अफ़साना ॥
हम साथ जब चलेंगे ,
तब होगा सब पहचाना ,
कदम साथ में बढ़ाकर ,
कर दें इसे अफ़साना ॥
दुनिया बहुत बड़ी है ,
राहें भी बहुत लम्बी ,
चलते हुए थक जाएँ ,
राही जो हो अन्जाना ॥
जीवन की डगर है छोटी ,
साथी भी है जरूरी ,
प्यारा सा हमसफ़र हो ,
रस्ता लगे मस्ताना ॥
कदमों से कदम मिल जाएँ ,
हाथों में हाथ आएँ ,
गलियाँ भी गुनगुनाएँ ,
मिले साथी जो पहचाना ॥
No comments:
Post a Comment