कजरारे
श्यामल - धवल से बदरा ,
उड़ते यहाँ - वहाँ हैं ,
अंबर तेरे अँगना में ,
बदरा हैं कितने सारे ??
कुछ छोटे - छोटे से हैं ,
कुछ हैं बड़े - बड़े ,
कुछ छाया दे रहे हैं ,
कुछ नीर हैं समेटे ,
भारी हुए जब कुछ तो ,
बरस पड़े हैं सारे ॥
गरजन बड़ी है उनकी ,
तरजन बड़ी है उनकी ,
पानी से लबालब हैं ,
फिर भी उड़ान ऊँची ,
समेटे हैं अपने आँचल में ,
दामिनी को सारे ॥
ये बदरा प्यार से कोमल ,
समेटे धूप की गरमी ,
देते हैं शीतल छाया ,
सह जाते हैं खुद गरमी ,
तभी तो धवल बदरा भी ,
होते जाते कजरारे ॥
श्यामल - धवल से बदरा ,
उड़ते यहाँ - वहाँ हैं ,
अंबर तेरे अँगना में ,
बदरा हैं कितने सारे ??
कुछ छोटे - छोटे से हैं ,
कुछ हैं बड़े - बड़े ,
कुछ छाया दे रहे हैं ,
कुछ नीर हैं समेटे ,
भारी हुए जब कुछ तो ,
बरस पड़े हैं सारे ॥
गरजन बड़ी है उनकी ,
तरजन बड़ी है उनकी ,
पानी से लबालब हैं ,
फिर भी उड़ान ऊँची ,
समेटे हैं अपने आँचल में ,
दामिनी को सारे ॥
ये बदरा प्यार से कोमल ,
समेटे धूप की गरमी ,
देते हैं शीतल छाया ,
सह जाते हैं खुद गरमी ,
तभी तो धवल बदरा भी ,
होते जाते कजरारे ॥
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