जगमग
रवि - किरणें फ़ैली धरती पर ,
देतीं जीवन - दान ,
सागर रहा तरसता सा , ये ,
पाने को वरदान ॥
कैसे आएँ बोलो सागर ?
हम घर में तेरे ,
हमने रोज लगाए सागर ,
तेरे घर के फेरे ॥
खोला नहीं द्वार तूने ,
बहुत बार खड़काया ,
वापिस हम लौटे हैं सागर ,
तूने नहीं बुलाया ॥
कैसे खोलूँ द्वार मैं अपना ?
कोई मुझे बताए ,
जल का अतुल भंडार देख कर ,
पाहुन लौटा जाए ॥
खारा पानी भरा है इतना ,
फिर भी प्यासा हूँ मैं ,
रंग अनगिनत छिपे हैं अंदर ,
अंधकार में हूँ मैं ॥
ऊपर की तो पर्त चमकती ,
अंदर फैला अंधकार है ,
जीव ना पाते रवि - किरणों को ,
कैसा ये जीवन आधार है ??
काश द्वार मैं सकता खोल ,
तो किरणें अंदर आतीं ,
भेद के अंदर अंधकार को ,
जगमग सब कर जातीं ॥
जगमग - जगमग होता जीवन ,
जल के सब जीवों का ,
द्वार जो खुल सकता मेरा ,
किरणों को रस्ता मिलता ॥
रवि - किरणें फ़ैली धरती पर ,
देतीं जीवन - दान ,
सागर रहा तरसता सा , ये ,
पाने को वरदान ॥
कैसे आएँ बोलो सागर ?
हम घर में तेरे ,
हमने रोज लगाए सागर ,
तेरे घर के फेरे ॥
खोला नहीं द्वार तूने ,
बहुत बार खड़काया ,
वापिस हम लौटे हैं सागर ,
तूने नहीं बुलाया ॥
कैसे खोलूँ द्वार मैं अपना ?
कोई मुझे बताए ,
जल का अतुल भंडार देख कर ,
पाहुन लौटा जाए ॥
खारा पानी भरा है इतना ,
फिर भी प्यासा हूँ मैं ,
रंग अनगिनत छिपे हैं अंदर ,
अंधकार में हूँ मैं ॥
ऊपर की तो पर्त चमकती ,
अंदर फैला अंधकार है ,
जीव ना पाते रवि - किरणों को ,
कैसा ये जीवन आधार है ??
काश द्वार मैं सकता खोल ,
तो किरणें अंदर आतीं ,
भेद के अंदर अंधकार को ,
जगमग सब कर जातीं ॥
जगमग - जगमग होता जीवन ,
जल के सब जीवों का ,
द्वार जो खुल सकता मेरा ,
किरणों को रस्ता मिलता ॥
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