Friday, December 31, 2021

SAATH BANAAE RAKHANA ( AADHYATMIK )

 

                       साथ बनाए रखना 

 

ईश्वर कृपा बनाए रखना ,अपनी दया बनाए रखना ,

पूरी दुनिया के दुःख हर लेना,मुझको भी सुखी बनाए रखना | 


तू ही दुनिया बनाने वाला ,तू ही उसे चलाने वाला ,

खुशियों का अंबार लगाता ,मगर कभी दुःख भी लाता ,

उन दुःखों को थोड़ा कम करदे ,

दर्दों को थोड़ा कम करदे ,अपना साथ बनाए रखना | 


जीवन के ओ देने वाले ,और उसे चलाने वाले ,

लंबी परीक्षा मत ले ईश्वर ,

राहों को सुखमय कर दे ,अपना साथ बनाए रखना | 


आने वाली राह सुगम हो ,कोई नहीं राह निर्गम हो ,

तेरा सिर पर हाथ रहे तो ,कोई नहीं राह कठिन हो ,

कठिनाई को तू हर ले ,अपना साथ बनाए रखना | 


पूरा जीवन साथ दिया है ,खुशियों का सामान दिया है ,

आगे भी ऐसा ही जीवन दे ,खुशियों से जीवन भर दे ,

आशीष अपना बनाए रखना ,अपना साथ बनाए रखना | 


अधिक नहीं तू परीक्षा ले ,बहुत परीक्षा ले ली तूने ,

अब तो हमें उत्तीर्ण कर दे ,अब तो हमें उत्तीर्ण कर दे ,

अपना साथ बनाए रखना ,अपना साथ बनाए रखना | 


Wednesday, December 29, 2021

RAAHI ( JIVAN )

 

                 राही 

 

पूरब दिशा से एक राही आया ,

जग को अपनी रोशनी से चमकाया ,

पूरे जग में जीवन उपजाया ,

धूप ,हवा ,पानी पूरे जग में फैलाया | 

 

जीवन जो धरती पे फैला ,

उसने जग में मुस्कान को मुस्काया ,

उन्हीं मुस्कानों के जरिए ,

जीवन भी खिलखिलाया | 

 

कहीं बने समंदर गहरे ,

कहीं बने ऊँचे - ऊँचे पर्वत ,

गहराईयों में उपजा जीवन ,

ऊँचाईयों पर पहुँचाया | 

 

कहीं रेतीली धरा थी ,

रेतीली धरा तो रेगिस्तान बन गई थी ,

मगर धरा पर ही बंधु ,

जंगल घना बनाया | 

 

सभी जीव - जंतुओं ने ,

सुखमय और सुरक्षित रहने के लिए ,

जरूरतों के मुताबिक ही ,

अपना नीड़ बनाया | 

 

ऐसा जग देखकर ,

राही भी मुस्कुराया ,

अपने फलते -फूलते जग में ,

प्यार अपना फैलाया , 

प्यार अपना फैलाया | 


Sunday, December 26, 2021

SISKIYAAN ( JIVAN )

 

                   सिसकियाँ 

 

एकांतवास मिलता है बंधु दिल के अंदर ,

दिमाग में तो शोर है ज्यादा ,

जिंदगी चाहती क्या है ? 

शोर या एकांतवास की शांति | 

 

ऊँचाई पर पहुँचा है मानव ,

मगर क्या सफलता है पाई ? 

हर ओर के रस्ते हैं बंद ,

कहीं कोई ख़ुशी ना भाई | 

 

बंद है मानव अपने बनाए किले में ,

दीवारें ऊँची उसकी हैं भाई ,

खाईयाँ खोद रखीं मानव ने ,

जीवन में ये कैसी घड़ी आई ? 

 

मानव ने ये बीज कैसे बोए ? 

जिसका फल आज भोग रहा भाई ,

अब काटने हैं वही फल तो ,

जो वटवृक्ष लगाया है भाई | 

 

अपने ही चेहरे को छुपाना पड़ा है ,

साँस लेना भी अब दूभर हुआ है ,

जिंदगी बन गई एक सजा है ,

मगर ये सब किस कारण हुआ है भाई ? 

 

प्रकृति से ना की होती छेड़खानी ,

ऐसी जिंदगी ना पड़ती बितानी ,

किया अपना गुनाह ,खुद ही भुगत रहा है ,

मानव आज खुद ही सिसक रहा है | 

 

ये सिसकियाँ तो बंधु कोई ना सुनने वाला ,

तभी तो लगा है दुनिया में ताला ,

मानव की निद्रा जब पूरी तरह खुलेगी ,

तभी तो बंधु ये ताला बंदी खुलेगी | 

 

Wednesday, December 22, 2021

LUTAAO YAARON ( JIVAN )

 

                   लुटाओ यारों 

 

जिंदगी की राह में कभी ,हार ना मानो यारों ,

हर परेशानी को दूर और ,दूर भगाओ यारों | 

 

कोरोना जो दुनिया में ,चारों तरफ है फैला हुआ ,

मास्क से इसको दूर ,भगाओ यारों | 

 

ना गले मिलो किसी से ,मिलाओ ना हाथ यारों ,

नमन करने को ,तुम शीश झुकाओ यारों | 


इस महामारी के वक्त में ,तुम खुद को बचाओ ,

दूसरों को भी इस महामारी ,से दूर हटाओ यारों | 


जिंदगी नमन करेगी ,उन सभी वारियर्स को ,

जो भी हँसते -हँसते ,मदद फैलाएँगे यारों | 


कल इतिहास उन्हीं को ,याद करेगा यारों ,

आज जो वर्तमान को ,जिलाएगा यारों | 


अपने लिए तो सभी ,जीते हैं इस जहाँ में यारों ,

आज तो दूजों के लिए ,हँस के जान लुटाओ यारों | 


Monday, December 20, 2021

SEEKH NADIYA SE ( RATNAKAR )

 

               सीख नदिया से 

 

नदिया निकले परबत से ,

लहर -लहर लहराती जाए ,

टेढ़ी -मेढ़ी राहें लेकर ,

जाय  समंदर में मिल जाए | 

 

ठंडा -ठंडा पानी लेकर ,

राहें नई बनाती जाए ,

राहों को उपजाऊ करके ,

जाय समंदर में मिल जाए | 

 

बीच राह में जो मिल जाए ,

उसकी प्यास बुझाती जाए ,

जरूरतें सबकी पूरी कर ,

जाय समंदर में मिल जाए | 

 

नदिया की राहों के बीच में ,

हरियाली फैलाती जाए ,

परिंदों के पंखों से उड़ कर ,

जाय समंदर में मिल जाए | 

 

निर्मल ,शीतल ,मीठा जल ,

नदिया लेकर बहती जाए ,

प्यास बुझा मुस्कान बाँटती ,

जाय समंदर में मिल जाए | 

 

लहर -बहर करती नदिया ,

प्यार से सबको पास बुलाए ,

जीवन सबका सुखी बनाकर ,

जाय समंदर में मिल जाए | 

 

हम भी इस नदिया से सीख कर ,

अपना जीवन मधुर बनाएँ ,

प्यार बाँट ,मुस्कानें फैला कर ,

जाएँ ,समंदर में मिल जाएँ |

Saturday, December 18, 2021

HAM DONON ( PREM )

 

            हम दोनों 

 

किसको पता था कि एक दिन ,

साजन का हाथ पकड़ ,

चलेंगे नए रास्ते पर ,

गाँव की ओर जाएँगे हम दोनों | 

 

सड़कें थीं टूटी फूटी ,

पगडंडियाँ थीं कच्ची ,

मगर मस्ती में डूबे ,

उसी पर चलते गए हम दोनों | 

 

पहुँचे हम गाँव में ,

वक्त था शाम का ,

झुटपुटा था ,संध्या रानी सब ओर थी ,

समय की सुंदरता में डूब गए हम दोनों | 

 

तभी साइकिल की घंटी सुनाई दी ,

देखा डाकिया आया था ,

थैले में पत्र थे ,अनेक रंग - बिरंगे पत्र थे ,

अनेक हस्तलिखित पत्र ,अनेक लिखावट के पत्र ,

  मोबाइल के ज़माने में ये पत्र ,

प्यार का इज़हार थे ,

उन पत्रों की प्यार भरी खुश्बु ,

में डूब गए हम दोनों | 


तभी बूँदें टपकीं ,घने से बादलों से ,

सूखी ,तपती धरा की मिट्टी थी बहुत प्यासी ,

बूँदों ने जो मौसम बदला ,

धरा की प्यास कम हुई ,

उड़ी सोंधी सी खुश्बु ,

पत्रों की खुश्बु संग मिली ,

दोनों ने हवा को खुश्बुओं से महकाया ,

ख़ुश्बुओं से तरबतर हुए हम दोनों | 

ख़ुश्बुओं से तरबतर हुए हम दोनों | 


Wednesday, December 15, 2021

PYAAR PANAPA ( PREM )

 

                प्यार पनपा 

 

जिंदगी के उन सुनहरे दिनों में ,

जिंदगी के उन सुनहरे पलों में ,

बहार आई जब बगिया में ,

फूल महक उठे हमारी साँसों में | 


उन सुनहरे दिनों में ,

तारों की उस जगमग छावों में ,

बहुत अच्छा लगा तुमसे मिलना ,

हाथों में हाथ लेके एक राह पे चलना | 


प्यार पनप गया दिलों में ,

तभी मेरे साजना दिन बीतते गए ,

और प्यार बढ़ता गया ,दिलों में ,

बसा वो प्यार ,आया सभी की निगाहों में | 


फूल और खिल उठे ,बहार भी चहक गई ,

तारों की वो छाँव भी ,और भी चमक गई ,

मुस्कुरा कर खिल गई ,खुशियों में बदल गई | 


पानी की फुहारें भी ,जिंदगी को तर गईं ,

तन मन जो भीगा तो ,खुशियाँ और बढ़ गईं ,

ऐसे मौसम में ,ऐसी ऋतु में ,

हम दोनों ही जाने कहाँ खो गए ? 

जाने कहाँ खो गए ? 


Friday, December 10, 2021

RAISTORENT ( HASYA )

 

                रैस्टोरेंट 

 

ये प्लेटों की खड़खड़ाहट ,

ये चम्मचों की छनछनाहट ,

स्वादों की खुश्बुओं से भरी हवाएँ ,

वेटरों को बुलातीं हैं ये सदाएँ | 


कोई ढोकले का स्वाद है लेता ,

कोई इडलियों को उदरस्थ करता ,

कोई समोसे संग चटनियाँ चखता ,

कोई कचौड़ियों को कुरकुर है करता | 


कोई मीठी लस्सी संग रसगुल्ला खाता ,

कोई केक ,पेस्ट्री के मजे है उड़ाता ,

किसी को स्वाद आता वड़ा पाव में ,

कोई डूब जाता मिसल के स्वाद में | 


ये तो रैस्टोरेंट है ,बुलाता है सबको ,

मजेदार स्नैक्स खिलाता है सबको ,

चाय ,कॉफी का मजा दिलाता है सबको ,

जीवन के रंग दिखाता है सबको | 


सभी बड़े चाव से सब हैं खाते ,

मीठे और नमकीन के मजे हैं उड़ाते ,

खाते और साथ में कहकहे हैं लगाते ,

जीवन को अपने खुशनुमा हैं बनाते | 


Thursday, December 9, 2021

JIVAN NAIYYAA ( PREM )

 

                              जीवन नैया

 

दुनिया की भूल -भुलैया में ,खो गए हैं हम सखे ,

ढूँढेंगे हम किसी को क्या ? हम ही खो गए हैं सखे | 

 

जीवन की नैया तैर रही ,हिचकोले है खाती सखे ,

हिलते-हिलते वो जीवन के,छिपे से राज बताती सखे|  


आगे रास्ता कौन बताए ? समझ में बात ना आती सखे ,

इतने बड़े से जहान में ,दिशा समझ ना आती सखे | 


हर ओर को रास्ते मुड़ जाते ,हम किधर मुड़ें ये जानें ना सखे ,

अपनी मंजिल है किधर को दोस्त ? हम राह कोई पहचाने ना सखे | 


जीवन की नैया खेते जाओ ,लग जाओगे पार सखे ,

यही सुनी है हमने दोस्तों ,दूजों के मुख से बात सखे | 


 ये भूल -भुलैया हमने तो ,कर ली है लंबी पार सखे ,

जो थोड़ी राह बची है वो ,आगे करनी है पार सखे | 


चलते -चलते ही आगे भी ,लग जाएगी नैया पार सखे ,

कुछ हँसते -हँसते ,कुछ गाते -गाते और मुस्काते सखे | 


हाथ पकड़ हम चलते जाएँ ,साथ में हम मुस्काएँ सखे ,

जीवन पार लगेगा यूँ ही ,हम लग जाएँगे पार सखे | 


प्यार में बीत गया जीवन ,चाहे राहें ऊँची -नीची हों ,

प्यार में हम डूबें सिर तक ,प्यार लबालब मिले हमें सखे | 


तन -मन भीगे प्यार की फुहारों में ,कभी ना हो बयारों में ,

कलियाँ खिल जाएँ दिल की ,महके खुश्बु गुलजारों में सखे | 


Tuesday, December 7, 2021

VISHVASNEEY ( KSHANIKA )

 

             विश्वसनीय

 

रंगीन दरवाजे के पीछे ,फैली अविश्वसनीयता ,

ऊँचे पहाड़ों ,गहरे सागरों की ,ऊँची गहराइयों ,

में फैली अविश्वसनीयता ,

तेरी मेरी सोचों में फैली है दोस्त ,

गहरी विश्वसनीयता | 

 

बीता हुआ कल तो बीत गया ,

मानो इंद्रधनुष के रंगों को बिखरा गया ,

आने वाला कल अनजाना है ,

फैली हुई है आज विश्वसनीयता | 

 

आने वाला कल,कल को आज बन जाएगा ,

और आज ,कल को इतिहास बन जाएगा ,

हम ,तुम भी दोस्त आने वाले समय में ,

इतिहास बन जाएँगे ,

यही है विश्वसनीयता | 

 

बीते समय की ,अपने इतिहास की गलतियों से ,

सीख लो कुछ दोस्त ,उन्हें दोहराओ मत ,

करो विश्वास कि ,रहेगी सदा विश्वसनीयता | 

 

फिर से जीवन बनेगा सोन चिरैया ,

फिर से देश बनेगा सोन चिरैया ,

सभी सुखी ,सभी जीवंत होंगे ,

मुस्कुराहटों भरी आएगी विश्वसनीयता |

 

Sunday, December 5, 2021

LAKEEREN BHAAGYA KI ( JIVAN )

 

           लकीरें भाग्य की 

 

लकीरें भाग्य की हैं चमकतीं , 

लकीरें भाग्य की हैं दमकतीं ,

मगर उनसे ज्यादा चमकती हैं ,

मगर उनसे ज्यादा दमकती हैं ,

मेहनत की लकीरें ,परिश्रम की लकीरें | 


तो सोच ले ऐ - मानव ,तुझे क्या चाहिए ? 

तुझे कैसे चाहिए ? मेहनत से या भाग्य से ? 

जब मेहनत होगी ,जब परिश्रम होगा ,

तभी तो भाग्य देगा ,तभी किस्मत जागेगी | 


नहीं खाली बैठ ,करे जा तू मेहनत ,

नहीं खाली सोच ,करे जा तू परिश्रम ,

बदल दे अपने हाथों की लकीरें ,

बदल दे तू अपनी तकदीरें | 


खुशहाली आएगी ,ये काली सी ऋतु जाएगी ,

मगर अब आगे तू ,

मेहनत से ना रुकना ,परिश्रम से ना झुकना | 


चलना प्रकृति के बनाए कायदों पर ,

निभाना प्रकृति के बनाए नियमों को ,

ये जीवन तभी बनेगा सुंदर ,

ये जीवन तभी बनेगा मजबूत | 


वरना ये काली सी ऋतु ,हर लेगी जीवन को ,

मिटा देगी इंसान के नामों - निशान को ,

बचा ले अपने अस्तित्व को ,

मिटा दे इस काली सी ऋतु को ,

बन दोस्त प्रकृति का ,कर मेहनत ,

कर परिश्रम और सजा अपना आशियाना |