Saturday, December 18, 2021

HAM DONON ( PREM )

 

            हम दोनों 

 

किसको पता था कि एक दिन ,

साजन का हाथ पकड़ ,

चलेंगे नए रास्ते पर ,

गाँव की ओर जाएँगे हम दोनों | 

 

सड़कें थीं टूटी फूटी ,

पगडंडियाँ थीं कच्ची ,

मगर मस्ती में डूबे ,

उसी पर चलते गए हम दोनों | 

 

पहुँचे हम गाँव में ,

वक्त था शाम का ,

झुटपुटा था ,संध्या रानी सब ओर थी ,

समय की सुंदरता में डूब गए हम दोनों | 

 

तभी साइकिल की घंटी सुनाई दी ,

देखा डाकिया आया था ,

थैले में पत्र थे ,अनेक रंग - बिरंगे पत्र थे ,

अनेक हस्तलिखित पत्र ,अनेक लिखावट के पत्र ,

  मोबाइल के ज़माने में ये पत्र ,

प्यार का इज़हार थे ,

उन पत्रों की प्यार भरी खुश्बु ,

में डूब गए हम दोनों | 


तभी बूँदें टपकीं ,घने से बादलों से ,

सूखी ,तपती धरा की मिट्टी थी बहुत प्यासी ,

बूँदों ने जो मौसम बदला ,

धरा की प्यास कम हुई ,

उड़ी सोंधी सी खुश्बु ,

पत्रों की खुश्बु संग मिली ,

दोनों ने हवा को खुश्बुओं से महकाया ,

ख़ुश्बुओं से तरबतर हुए हम दोनों | 

ख़ुश्बुओं से तरबतर हुए हम दोनों | 


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