जीवन नैया
दुनिया की भूल -भुलैया में ,खो गए हैं हम सखे ,
ढूँढेंगे हम किसी को क्या ? हम ही खो गए हैं सखे |
जीवन की नैया तैर रही ,हिचकोले है खाती सखे ,
हिलते-हिलते वो जीवन के,छिपे से राज बताती सखे|
आगे रास्ता कौन बताए ? समझ में बात ना आती सखे ,
इतने बड़े से जहान में ,दिशा समझ ना आती सखे |
हर ओर को रास्ते मुड़ जाते ,हम किधर मुड़ें ये जानें ना सखे ,
अपनी मंजिल है किधर को दोस्त ? हम राह कोई पहचाने ना सखे |
जीवन की नैया खेते जाओ ,लग जाओगे पार सखे ,
यही सुनी है हमने दोस्तों ,दूजों के मुख से बात सखे |
ये भूल -भुलैया हमने तो ,कर ली है लंबी पार सखे ,
जो थोड़ी राह बची है वो ,आगे करनी है पार सखे |
चलते -चलते ही आगे भी ,लग जाएगी नैया पार सखे ,
कुछ हँसते -हँसते ,कुछ गाते -गाते और मुस्काते सखे |
हाथ पकड़ हम चलते जाएँ ,साथ में हम मुस्काएँ सखे ,
जीवन पार लगेगा यूँ ही ,हम लग जाएँगे पार सखे |
प्यार में बीत गया जीवन ,चाहे राहें ऊँची -नीची हों ,
प्यार में हम डूबें सिर तक ,प्यार लबालब मिले हमें सखे |
तन -मन भीगे प्यार की फुहारों में ,कभी ना हो बयारों में ,
कलियाँ खिल जाएँ दिल की ,महके खुश्बु गुलजारों में सखे |
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