प्यार पनपा
जिंदगी के उन सुनहरे दिनों में ,
जिंदगी के उन सुनहरे पलों में ,
बहार आई जब बगिया में ,
फूल महक उठे हमारी साँसों में |
उन सुनहरे दिनों में ,
तारों की उस जगमग छावों में ,
बहुत अच्छा लगा तुमसे मिलना ,
हाथों में हाथ लेके एक राह पे चलना |
प्यार पनप गया दिलों में ,
तभी मेरे साजना दिन बीतते गए ,
और प्यार बढ़ता गया ,दिलों में ,
बसा वो प्यार ,आया सभी की निगाहों में |
फूल और खिल उठे ,बहार भी चहक गई ,
तारों की वो छाँव भी ,और भी चमक गई ,
मुस्कुरा कर खिल गई ,खुशियों में बदल गई |
पानी की फुहारें भी ,जिंदगी को तर गईं ,
तन मन जो भीगा तो ,खुशियाँ और बढ़ गईं ,
ऐसे मौसम में ,ऐसी ऋतु में ,
हम दोनों ही जाने कहाँ खो गए ?
जाने कहाँ खो गए ?
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