जीवनोद्धार
बदरा आया उड़ - उड़ के ,
गहरे नीले आसमान में ,
लहराती ,बलखाती आई दामिनी ,
सबने मिलकर दुनिया को गुँजाया |
रुक जा बदरा ,जरा थम जा तू ,
बरखा को नीचे भेज रे ,
बरखा जो नीचे आएगी तो ,
धरा की प्यास बुझा रे |
प्यास जो धरा की बुझेगी ,
तो हरियाली फूटेगी और ,
खेत सभी लहराएँगे ,और उनको देख के ,
सभी के दिल हर्षाएँगे |
तृप्त धरा के हरे आँचल में ,
छिप जाएँगे सभी जीव फिर ,
तर जाएँगे लेकर प्यार ,
धरा की फसलों से होगा ,जीवनोद्धार फिर |
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