मुस्कान लिए चंदा
नींद से आँखें खुलने पर ,
देखा चंदा खड़ा है सामने ,
लिए मुस्कान चेहरे पर ,
हो गई मैं हैरान देख सामने |
अरे ! सखा तुम कब आए ?
सखि ,दिन बीतते जाते ,यूँ ही व्यस्तता में ,
आज समय मिल गया ,तो सोचा ,
दूँ सरप्राइज़ ,हो खड़ा सामने |
अच्छा किया सखा ये तुमने ,
मैं भी खुश हूँ तुम्हें देख कर ,
मैं लाती हूँ चाय बनाकर ,
बातें करेंगे दोनों बैठ सामने |
उठी मैं लाई चाय बनाकर ,
बैठ गए हम दोनों बंधु ,
चाय के सिप कम ,बातें ज्यादा ,
जब तक कोई ना आया रोकने |
हम दोनों जब भी मिलते हैं ,
ऐसे ही बातें करते हैं ,
अपने दिल का हाल बताते ,
फिर लगते हैं दूसरे का जानने |
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