चमक चाँदनी की
रात झाँका जो चाँद ,मेरी खिड़की से ,
भेजा अपनी चाँदनी को ,अंदर मेरे पास ,
चमक उठा मेरा कमरा ,चमक से चाँदनी की |
चाँदनी ने जगमगाया ,मेरा कमरा ,
हर चीज रोशन हुई ,कमरे की ,
फर्श तक जगमगा उठा ,चमक से चाँदनी की |
चाँद तू भी आ जाता ,अपनी के संग ,
ख़ुशी तो मेरी तब ,दोबाला हो जाती ,
अभी तो है अकेली मेरे पास ,चमक चाँदनी की |
आ जाती मेरे लबों पे ,मुस्कुराहट भी ,
तुझे जो पाती ,अपने पास मेरे चाँद ,
चमक आ जाती मेरी आँखों में ,चमक से चाँदनी की |
तेरी दुनिया तो है ,बड़ी, बहुत बड़ी चंदा ,
मेरी दुनिया में तो तू है ,नन्हें तारे हैं ,
और बस है तो ये ,चमक चाँदनी की |
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