नयनों में
मेरे नयनों में तुम समाए हो ,कोईजगह ना तुम बचाए हो ,
रात को नींद भी नहीं आती ,पूछा तो कहती है ,
कि जगह ही नहीं इतनी ,कैसे आऊँ मैं तेरे नयनों में ?
मेर नयनों में तुम समाए हो ,कोई जगह ना तुम बचाए हो ,
एक आँसू जो टपका नयनों से ,मैंने पूछा, तो वह बोला ,
कि जगह ही नहीं इतनी ,कैसे ना मैं टपकने से रुक जाता ?
मेर नयनों में तुम समाए हो ,कोई देख ले ना तुम्हें ,
पलकें खुद ही झपक जाती हैं ,होठों पे मुस्कान उभर आती है |
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