प्रेम कहानी
उनकी आँखों की भूलभुलैयाँ में ,
रस्ता हम तो भूल गए जी ,
चक्रव्यूह अभिमन्यु वाला ,
हम तो उसमें फँस गए जी |
प्यार के सागर में हम डूबे ,
अब तक उबार ना पाए जी ,
खेवैया तो मिला नहीं है ,
कौन पार लगाए जी ?
प्यार की बगिया खिलती जाए ,
जीवन यूँ ही बीते जी ,
खुशियों के ये फव्वारे ,
इसी तरह से छूटें जी |
कह दी हमने प्रेम कहानी ,
आप सभी ने सुन ली जी ,
जीवन बीता जैसे अब तक ,
आगे भी अब बीते जी |
No comments:
Post a Comment