जुड़ी
जिंदगी की राह चली ,चलते - चलते एक मोड़ मुड़ी ,
जुड़ी -जुड़ी -जुड़ी ,वो तो तेरी राह से जा जुड़ी |
कल तक वोअकेली चलती रही,हँसते-मुस्कुराते चलती रही ,
आज तो ले के तेरा साथ उड़ी ,वो तो तेरी राह से जा जुड़ी |
कभी ना हिचकिचाई ,शर्माई वो ,कभी ना झिझकी,
सकुचाई वो ,मुस्कुरा -मुस्कुरा के ,चल -चल के उड़ी ,
वो तो तेरी राह से जा जुड़ी |
कल भी चल रही थी ,कभी हौले से ,कभी तेजी से ,
मगर एक मोड़ मुड़ते ही वो ,
दौड़ी -दौड़ी - दौड़ी ,और मानो उड़ी ,
वो तो तेरी राह से जा जुड़ी |
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