धर्म -कर्म
ईश्वर पूजा धर्म है ,मानव सेवा कर्म है ,
जल चढ़ाना ,दीया जलाना , दिखावा है ,
किसी प्यासे को जल पिलाना ,
किसी अँधेरी झोंपड़ी में ,दीया जलाना शुभ कर्म है ,
अब आप क्या करना चाहेंगे बंधु ? धर्म या कर्म ?
ईश्वर ,किससे खुश होंगे ? धर्म से या कर्म से ?
विचार कीजिए ,और फिर कर्तव्य निर्वाह कीजिए |
सत्य पथ और ईमानदारी को कभी मत छोड़िए ,
जीवन फूलों की तरह महक जाएगा ,
महक को अपने जीवन में भर लीजिए ,
अपना आस - पड़ोस भी महका लीजिए |
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