मेघों का संसार
हूँ बहुत ऊपर धरा से , मेघों का संसार है ,
है बिछौना बादलों का , ओढ़ना मेघों का है |
रंग है सोना सा नीचे ,और ऊपर चाँदनी धवल ,
घिर गयी बदरी से मैं तो , आयी मुट्ठी में सजल |
गुदगुदे से , हल्के से बदरा , पाँवों को सहलाते से बदरा ,
अंजुरी भर आये बदरा , गुलाब की पंखुड़ी से बदरा |
रवि ने बिखराया जो सोना , चमक उठे उसे समेट ,
सोने से बदरा चमकते , गालों को सहला गए ,
गुदगुदाती उस छुअन के , अहसास से शर्मा गए |
पाँव धीरे से हैं रखे , चोट ना खाए जलद,
दर्द न हो उनको कहीं , हो गयी मैं तो सजग |
रूई के फाहे से बदरा , उड़ रहे चहुँ ओर से ,
आँखें हैं पनियाली मेरी , देखें ना उनको गौर से |
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