शब्दों की आहट
सुनी शब्दों की आहट , दिल -ऑ - दिमाग ने मेरे ,
खुले सभी द्वारे दरीचों के , दिल -ऑ - दिमाग ने मेरे |
शब्दों के नन्हें पाँव , घूमें सभी दरीचों में ,
कभी उछले , कभी कूदे ,दरीचों के खाली गलियारों में |
मिला शब्दों का झुरमुट जो ,भावों की खुशबू से ,
महका दिया दोनों ने मिल , मेरे खाली दरीचों को |
अब आगे ना खाली रहेगा , अब ये भरेगा शब्द - भावों से ,
भरेंगे शब्द खिलखिलाहट , रुपहले भावों की खुशबू में |
सदा महकेंगे ये दरीचे , भावों भरे शब्दों की छ्म्छ्माहट में |
No comments:
Post a Comment