अशांत मन
जब कभी हो मन अशांत ,
आँख बंद कर ध्यान लगा लो ,
अपने मन के अंदर झाँक कर ,
उसका कोना - कोना छान लो |
कहीं कोई तिनका ( ताना ) मिल जाए ,
कहीं कोई धूल का कण ( अपमान ) मिल जाए ,
शुद्ध विचारों से साफ कर लो ,
मुस्कानों से धो डालो |
प्यार की कमी गर हो जीवन में ,
और इसीलिए मन अशांत हो ,
तो गीत प्यार का सुन लो ,
और गीत को गुनगुना लो |
अशांत मन को भटकने मत दो ,
प्यार के कच्चे धागे से ही बाँध लो ,
ध्यान रखो धागा छूटे ना हाथ से ,
ध्यान रखो धागा टूटे ना ,हाथ से थाम लो |
साँसों के तार पर ध्यान दो ,
गति ना बढ़ा दें ,गति ना घटा दें ,
कोशिश करो मध्यम चाल ही चलें ,
कोशिश करो मन को शांत ही करें ||
No comments:
Post a Comment