Monday, July 4, 2022

LEKHANEE ( JIVAN )

 

                              लेखनी 

 

कल्पना से चले लेखनी ,शब्द तभी बनते हैं ,

कल्पना के कारण ही ,गीत ,संगीत सजते हैं | 

 

बिना कल्पना नहीं बनें  , कविता और कहानियाँ ,

बिना कल्पना नहीं सोच में ,कैसे हों रूहानियाँ ?


माँ भी अपने बच्चे की ,नौ महीने तक करे कल्पना ,

तभी तो जन्म पर मुस्कान खिले ,देखे जब साकार कल्पना | 


कल्पित सपने खिलते हैं ,जब मेहनत उनके लिए करें ,

कल्पित गीत तभी तो सुंदर ,होकर दिल को छुआ करें | 


बिना कल्पना कैसे लिखे ? कोई सुंदर सी ग़जल ,

कैसे लाए कोई आँखों में ? नमी या उनको करे सजल | 


चलो कल्पना करते हैं ,और चलाते हैं अपनी लेखनी ,

आप भी करो बंधु ,हम भी चलाते हैं अपनी लेखनी | 


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