लेखनी
कल्पना से चले लेखनी ,शब्द तभी बनते हैं ,
कल्पना के कारण ही ,गीत ,संगीत सजते हैं |
बिना कल्पना नहीं बनें , कविता और कहानियाँ ,
बिना कल्पना नहीं सोच में ,कैसे हों रूहानियाँ ?
माँ भी अपने बच्चे की ,नौ महीने तक करे कल्पना ,
तभी तो जन्म पर मुस्कान खिले ,देखे जब साकार कल्पना |
कल्पित सपने खिलते हैं ,जब मेहनत उनके लिए करें ,
कल्पित गीत तभी तो सुंदर ,होकर दिल को छुआ करें |
बिना कल्पना कैसे लिखे ? कोई सुंदर सी ग़जल ,
कैसे लाए कोई आँखों में ? नमी या उनको करे सजल |
चलो कल्पना करते हैं ,और चलाते हैं अपनी लेखनी ,
आप भी करो बंधु ,हम भी चलाते हैं अपनी लेखनी |
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