Friday, July 8, 2022

UPJAAOO MAN ( GEET )

 

 

                 उपजाऊ मन 

 

मिट्टी में बोया जो बीज ,पानी से सींचा वो गया ,

फूटा अंकुर ,निकलीं पत्तियाँ ,धीरे -धीरे वो पेड़ बना | 

 

धरा हमारी है उपजाऊ ,हरियाली उसमें पनपे ,

बीज कोई भी बोया जाए ,नए -नए पौधे उगते | 

 

धरा जैसा ही मन है हमारा ,मन में तो विचार उगते ,

नफरत उसमें गई अगर ,तो नफरतों के पेड़ उगते | 

 

डालो बीज प्यार ,प्रेम का ,खूब ही प्रेम उगाओ तुम ,

मन भर जाएगा प्रेम से ,उसको खूब लुटाओ तुम | 

 

सबसे उपजाऊ है मन अपना ,सोच के उसमें डालो बीज ,

प्यार ,प्रेम की फसल बढ़े जब ,दुनिया नई सजाओ तुम | 

 

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