Sunday, July 3, 2022

SAAGAR MEIN ( RATNAAKAR )

 

               

     सागर में 

 

    आया मेघा रे ,आया मेघा रे , 

बरसा सावन रे ,बरसा सावन रे | 

 

नदिया दौड़ी उछल - उछल कर ,

दौड़ - दौड़ कर पहुँची सागर ,

सागर भी खुश हुआ ,

स्वागत किया नदिया का ,अपने अंदर उसे समाया | 

 

सागर की लहरें उछलीं ,तोड़ किनारा भागीं बाहर ,

सागर ने उन्हें बुलाया वापस ,आईं वापस ,

सागर में समाईं | 


कहाँ थी नदिया ? कहाँ समाई ? 

कहाँ थी लहर ? कहाँ समाई ? 

नदिया तो उतर कर पर्वतों से आई ,

दौड़कर सागर के अंदर समाई  | 


लहर गरजती सागर   से ही उपजी ,

किनारे से कूद बाहर आई ,

मगर फिर वापस जा कर ,

सागर में समाई ,सागर में समाई | 


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