सागर में
आया मेघा रे ,आया मेघा रे ,
बरसा सावन रे ,बरसा सावन रे |
नदिया दौड़ी उछल - उछल कर ,
दौड़ - दौड़ कर पहुँची सागर ,
सागर भी खुश हुआ ,
स्वागत किया नदिया का ,अपने अंदर उसे समाया |
सागर की लहरें उछलीं ,तोड़ किनारा भागीं बाहर ,
सागर ने उन्हें बुलाया वापस ,आईं वापस ,
सागर में समाईं |
कहाँ थी नदिया ? कहाँ समाई ?
कहाँ थी लहर ? कहाँ समाई ?
नदिया तो उतर कर पर्वतों से आई ,
दौड़कर सागर के अंदर समाई |
लहर गरजती सागर से ही उपजी ,
किनारे से कूद बाहर आई ,
मगर फिर वापस जा कर ,
सागर में समाई ,सागर में समाई |
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