ताप हरे
मटका गढ़ा कुम्हार ने ,अलग - अलग आकार का ,
मगर काम तो एक ही ,पानी को ठंडा करे |
मानव गढ़ा है ईश्वर ने ,अलग - अलग विचार का ,
मगर काम तो एक ही ,संसार को स्वच्छ करे |
नियम बनाए जो ईश्वर ने ,उनका वह पालन करे ,
सुख दे सके ना किसी को ,तो दुःख भी ना अर्पण करे |
खुशियाँ बाँटे जो मानव ,ईश्वर भी उसको प्यार करे ,
कठिन समय के आने पर ,वो उस मानव की मदद करे |
साथ अगर हो ईश्वर का ,तो क्यों वह मानव चिंता करे ?
उसे पता है कि ईश्वर ही ,उसका सारा ताप हरे |
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