अकेलापन
अकेलापन एक शब्द ही नहीं ,
एक भाव है ,एक सोच है ,एक स्तिथि है ,
जबहमारे साथ कोई नहीं होता ,
तब हमें सब अकेला समझते हैं दोस्तों |
मगर क्या हम तब अकेले होते हैं ?
नहीं ,हमारी सोच में कोई ना कोई होता है ,
कभी हम पिछले समय की ,यादों में डूबे होते हैं ,
कभी - कभी दोस्तों का साथ मिला होता है |
कभी किसी पार्टी में ,
क्या सचमुच हम भीड़ का हिस्सा होते हैं ?
कभी - कभी तो हम उस पार्टी में ,
अनजान चेहरों के बीच हम ,
खुद कोअकेला पाते हैं दोस्तों ,वह अकेलापन ,
बहुत निराशाजनक होता है दोस्तों ,
बहुत ही दुखदायी होता है |