गूँज उठा
रवि की किरणें ,उतरीं जब धरा पर ,
सुनहरा कर दिया सभी को ,
अँगड़ाई ले सभी जन जागे ,
पंछियों की चहचहाहट से ,गूँज गया संसार |
सागर की लहरें ,मचल - मचल कर शोर मचाएँ ,
ऐसा लगा वो करेंगी ,साहिल को पार ,
लहरों के शोर से ,गूँज उठा संसार |
बीच में सागर ,लगता शांत सा ,
मगर किनारों पर ,इठलाती ,बलखाती लहरें हैं ,
गीली - गीली रेत पर ,पैरों के निशान हैं ,
उन निशानों में छिपा है ,
एक गूँजता संसार , एक गूँजता संसार |
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