चूनर
शाम ढली ,हुई रात उजागर ,
फैली चाँदनी ,मुस्काए चंदा - तारे ,
नभ की छाया चाँदनी ,उतरी धरती पर ,
तभी कहा चाँदनी ने सबसे ,आ - रे , आ - रे |
मनमोहक नभ को देखा सबने ,
धरावासियों ने देखा मुस्का के ,
संग में उनके देखा धरा ने ,
तभी कहा चाँदनी ने सबसे ,आ - रे ,आ - रे |
कही चाँद ने ,तारों से एक बात ,
झिलमिल - झिलमिल ,तुम हो जाओ ,
तभी कहा चाँदनी ने सबसे ,आ - रे ,आ - रे |
चाँदनी भेजी चाँद ने ,नभ से धरा पर ,
उजली ,चमकीली चाँदनी ,फैली धरा पर ,
धरा ने मानो ओढ़ ली ,चूनर चाँदनी की ,
तभी कहा चाँदनी ने सबसे ,आ - रे ,आ - रे |
No comments:
Post a Comment