जल ही जल
बदरा रे ,तू कहाँ से लाया इतना जल ?
सारी धरती तूने कर दी जल ही जल |
कोई समंदर किया क्या रीता ?
बना क्या तू ,धरा का मीता ?
जो तूने किया ,धरा को जल ही जल |
कैसे इतना किया तूने भार वहन ?
कैसे उड़ा तू ले के ,जल को बिना वाहन ?
कैसे किया तूने ,सारी धरा को जल ही जल ?
तू तो इतना कोमल बदरा ,कैसे जल को उठाए तू ?
तू तो श्यामल रंग बदरा ,दामिनी को भी भिगाए तू ,
दामिनी के होते तूने ,बदरा कैसे उठाया जल ?
धरा को सारा जल देकर ,कहाँ पे उड़ जाता है तू ?
नहीं दिखाई देता हमको ,कहाँ पे छिप जाता है तू ?
तू तो बदरा देता दिखाई तभी ,जब तू लाता है जल |
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