हम बंजारे
रास्ते हुए हैं सब बंजारे ,कहीं भी मुड़ जाते ,
जाने क्या सोचते ? जाने क्या खोजते ?
इतने सारे मोड़ों को ,कैसे याद रखते ?
जीवन हमारा तो ,कुछ खोज ना पाता ,
दिल के प्यारे जहां को ,ना दिमाग के आसमां को |
प्यारा जहां -- जहाँ नफरतों का ,नामो निशां ना हो ,
जहाँ प्यार ही प्यार ,हवाओं में उड़ता हो ,
सभी के दिलों को छूकर ,अपना बसेरा बनाता हो |
जहाँ नफरतों के लिए ,कोई जगह ना हो ,
दिल -दिमाग दोनों ,होठों पर मुस्कानें बिखराते हों ,
आँखों में चमक ,जुबां पर प्यार भरे नगमे ,
और गीत गुनगुनाए जाते हों ,
साथ में हम भी ,बंजारे बन जाते हैं ,बंजारे बन जाते हैं |
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