भला किसका ?
चुनावों की सरगर्मियाँ ,जारी हैं दोस्तों ,
राजनैतिक दलों की ,रैलियाँ भी जारी हैं दोस्तों ,
ऐसे में अफवाहें ना फैलें ,यह बात तो ,
असंभव है दोस्तों ||
एक दल के लोग ,दूसरे दल के लोगों पर ,
दोषारोपण करते रहते हैं दोस्तों ,
आम जनता का मत, पाने के लिए ,
विभिन्न हथकंडे ,अपनाते रहते हैं दोस्तों ||
दलों द्वारा जारी ,चुनावी घोषणा -पत्र में ,जीतने पर ,
असंभव सुविधाएँ ,देने का जिक्र करते हैं ,
वो सुविधाएँ ,किस प्रकार देंगे ?
उनके जरिए का ,जिक्र कहीं नहीं होता ||
इसके लिए वो ,करों ( taxes ) की रकम बढ़ाएँगे ,
या व्यापारियों से पैसा लेंगे ,
कर ( tax ) की रकम बढ़ाने पर ,
मध्यम वर्ग ही परेशानी में पड़ता है ||
व्यापारियों से लेने पर ,छोटा व्यापारी तो दे नहीं सकता ,
तो बड़े व्यापारी से पैसा लेने पर ,
उसे सहूलियत भी मिल जाती हैं ,
और वह अपने व्यापार में मंहगाई लाता है ,
हर हालत में मध्यम वर्ग ही पिसता है ,
यही सच है दोस्तों ,
देश का भला करने के नाम पर ,
हर कोई अपना ही ,भला करता है दोस्तों ||