Tuesday, September 30, 2025

NADII - SAAGAR ( RATNAAKAR )

 

                          नदी - सागर 

 

हिम पिघला तो जलधार  बनी , जलधार ने रूप बदला ,

नदिया दौड़ी मीठा जल लेके , जाकर मिल गई सागर में ,

सागर ने गले लगाया उसको , जल नमकीन बनाया उसका ,

साथ ही नदिया को उसने , रत्नों की खान बनाया   || 

 

नदिया ना बना सकी सागर के  पानी को मीठा ,

नदिया थी छोटी , बहुत छोटी , सागर था विशालकाय ,

अतुल जल का भंडार ,रत्नों का आकर ,मगर फिर भी नमकीन  || 

 

नदिया तो प्यास बुझाती सबकी , फसलों को हरा - भरा कर देती ,

सागर ना कर पाया ये सब , जल का अतुल भंडार होकर भी , 

ना प्यास बुझा पाए किसी की , ना फसल ही लहरा पाए   || 

 

Sunday, September 28, 2025

AASHISH DO ( AADHYAATMIK )

 

                               आशीष दो 

 

शिव - शंकर हो तुम , भोले नाथ हो तुम ,

 महेश्वर हो तुम  , गौरा पति हो तुम ,

कैलाश के निवासी , कभी तो उतरो धरा पर ,

आशीष दो , आशीष दो , अपने भक्तों को तुम  || 

 

धरा तरसती तुम्हारे , चरणों की धूलि पाने ,

उसे माथ पर लगाने , उसे माथ पर लगाने ,

आओ , आओ ,अपनी चरण - धूलि  दो तुम ,

आशीष दो , आशीष दो , अपने भक्तों को तुम  || 

 

आशीष को तुम्हारे , जन - जन है तरसता ,

एक छवि पाने को , हर भक्त है तरसता ,

 आओ , आओ अपनी , छवि तो दिखलाओ तुम ,

आशीष  दो ,आशीष दो , अपने भक्तों को तुम   || 

 

डमरु की आवाज हो ,गंगा तुम्हारे साथ हो ,

परिवार साथ लाओ , दर्शन हमें दे जाओ  ,

आओ ,आओ अपने , दर्शन तो दे जाओ तुम  ,

आशीष दो , आशीष दो , अपने भक्तों को तुम  || 

 

Saturday, September 27, 2025

ROOP TUMHARAA ( GEET )

 

                        रूप  तुम्हारा 

 

रूप तुम्हारा आँखों से पी लूँ ,

तुम जो कहो तो मर के भी जी लूँ  || 

 

कितने सुंदर बोल गीतकार के , 

अब आगे के बोल मेरे  ---- ,

चटखीं हैं कलियाँ , अपने चमन में ,

फैली है खुश्बु , अपने सहन में ,

तुम जो कहो तो , खुश्बु  मैं भेजूँ  ---- || 

 

छाए हैं बदरा , ऊपर गगन   में ,

बरसी है बरखा , अपने आँगन में ,

तुम जो कहो तो , रिमझिम मैं भेजूँ  ---- || 

 

चंदा है चमका , ऊँचे गगन में ,

फैली चंदनिया है , धरती गगन में  ,

तुम जो कहो तो , चाँदनी भेजूँ  ----  || 

 

Friday, September 26, 2025

MOD RAAHON KEY ( JIVAN )

 

                       मोड़ राहों के 

 

जिंदगी की राहों में चलते - चलते ,

कुछ पा लिया , कुछ खो गया ,

जो पा लिया ,उसने रोशन किया ,हमारे जीवन को ,

मगर जो खो गया ,उसकी कीमत ,

नहीं जान सके शुरु में हम , 

जब खो दिया उसको ,तो कीमत का पता चला हमको || 

 

हर राह अलग होती , हर मोड़ अलग होता ,

हर राह में अलग पाना , अलग खोना ,

हर मोड़ पर भी अलग पाना ,अलग खोना ,

यही तो जीवन की , सच्ची कहानी बनती है  || 

 

जो हमारे ही कर्मों , और हिम्मत से बनती है ,

चलो हिम्मत जुटा लें , कुछ कर्म कर लें ,

तभी तो जीवन की , सुंदर कहानी बनती है  || 

 

Thursday, September 25, 2025

SHURUAAT ( JIVAN )

 

                                    शुरुआत 

 

दूजों के दर्द समझो ,या ना समझो , कोई बात नहीं ,

दूजों की मदद करो , या ना करो , कोई बात नहीं ,

दूजों से मीठा बोलो , या ना बोलो , कोई बात नहीं ,

दूजों से कड़वा ना बोलो ,

उनकी परेशानियाँ और दर्द बढ़ाओ मत  || 

 

यही सीधा और सरल रास्ता है , जिंदगी बिताने का ,

 तो यही रास्ता अपना लो दोस्तों , इसी पर चलते जाओ ,

दूजों की नहीं तो , अपनी मुस्कानें तो बढ़ाओ ,

तुम्हारी मुस्कान से ही , दुनिया मुस्कुराएगी  || 

 

तो दोस्तों , मुस्कुरा दो दुनिया को , 

सबके जीवन को दोस्तों ,

सभी के जीवन में खिलखिलाहटें भर दो ,

तो जल्दी से शुरुआत करो दोस्तों   || 

 

Wednesday, September 24, 2025

CHAMAN ( KSHANIKAA )

 

                                         चमन 

 

अपनों से अपनापन ना मिले , तो भी मुस्कुराते रहिए ,

जिंदगी की जंग तो , मुस्कुराकर ही जीती जाएगी दोस्तों  || 

 

किसी की कड़वी बातों को , दिल में मत बसाइए ,

दिल में बसने वाली कड़वी बातों से ,

चेहरे की रौनक चली जाएगी दोस्तों  ||  

 

किसी  के कड़वे बोलों का  , कड़वा घूँट निगल जाइए ,

तभी तो दोस्तों आपकी जिंदगी , 

एक सुंदर सी मुस्कराहट बन पाएगी  || 

 

जो तुमसे प्यार करते हैं , उनका साथ बनाए रखिए ,

वही तो तुम्हारे अपने हैं ,

उन्हीं से जिंदगी अपनापन पाएगी दोस्तों  || 

 

किसी की मुस्कान का , खुद  को कारण तो बनाइए ,

तभी तो तुम्हारी जिंदगी ,

महकता हुआ चमन बन जाएगी दोस्तों   || 

 

Tuesday, September 23, 2025

PADHAAI ( KSHANIKAA )

   

                                   पढ़ाई 

 

जिंदगी के विद्यालय में , बहुत कुछ पढ़ लिया है दोस्तों ,

कुछ तो विद्यालय में सीखा , कुछ पढ़ा रिश्तों में ,

जमा ( + ) ,घटा  ( - ) , गुणा  ( x ) और भाग  ( -:- )  , 

पढ़ाए गुरुओं ने , गुरुओं का था अलग तरीका , अलग ही उत्तर ,

मगर रिश्तों ने सिखाया ,जो था बिल्कुल अलग दोस्तों  || 

 

गुरुओं के अनुसार , जमा और गुणा करने में ,

हम सीढ़ी चढ़ जाते थे ,

सीढ़ी उतरना था , घटा और भाग करने में दोस्तों ,

मगर रिश्तों ने , हर जगह ही हमें सीढ़ी से उतार दिया ,

हमें समझ नहीं आया , कि हम कहाँ सही थे ? कहाँ गलत  ??