Tuesday, December 2, 2025

PAVAN ( JIVAN - DAYINI ) BHAG - 2

 

                           जीवन - दायिनी 

 

जग वालों को , साँसें देने वाली पवन ,

तू तो सब की  प्यारी  है  , मेरी सहेली है  ,

दिखाई तू नहीं  देती , किसी को  ,

मगर पवन तू  , अहसास तो देती है  ,

अपने होने का  , अपने  बहने का    || 

 

शीतलता ही , तेरा गुण है  ,

सबको शीतलता देती है  ,

साँसों से सबको जीवन  मिलता ,

 तू ही तो  , जीवन - दायिनी है पवन  || 

 

काश तुम हमें , दिखाई देतीं  पवन  ,

काश तुम पानी की तरह  , तो दिखाई देतीं  ,

मगर जो अहसास , तुम देती हो   ,

वह तो कोई , दूसरा नहीं दे पाया  || 

 

तुम से सुंदर , तुम से अच्छा कोई नहीं  ,

पवन , पवन , तुम ही तो सच्ची सहेली हो  ,

जीवन हो हमारा   , प्राण हो हमारा   ||  

 

Monday, December 1, 2025

BAATEN KAR LO ( KSHANIKAA )

 

                          बातें कर लो 

 

ये हमारा जीवन है दोस्तों  ,

सपनों में डूबा , मुस्काता हुआ  ,

अपने सपनों को  , साकार कर लो दोस्तों  ,

सभी दोस्तों को , याद कर लो ,

सभी दोस्तों से  ,  बातें कर लो दोस्तों   || 

 

ऐसा करने से , सभी का जीवन मुस्काएगा  ,

सभी कुछ सुंदर बन   जाएगा ,

तो बढ़ चलो राह पर  ,

खिलखिलाहटों में , डूब जाओ दोस्तों   || 

 

कोई अपने आने वाले कल को  ,

नहीं जानता  है दोस्तों  ,

तुम अपने दोस्तों से मिलकर ही  ,

जीवन को  महका लो , मुस्कुरा लो दोस्तों   || 

 

ये मुस्कान और महक ही तो  ,

दिल को सुकून दिलाएगी  ,

खुशियों की डोली आएगी अपने घर  ,

गमों को ले जाएगी बाहर  , हाँ  जी  ! बाहर   || 

 

Sunday, November 30, 2025

JAVAAB ( JIVAN )

 

                             जवाब 

 

कुछ रंग जिंदगी के , इधर - उधर बिखरे  ,

कुछ रंग जिंदगी के , मुस्कानों में निखरे  ,

क्या तुमने देखे , मेरे दोस्त   ?

 

कुछ खुश्बुएँ हवाओं में फैलीं ,

कुछ तितलियाँ चमन में उड़ीं  ,

क्या तुमने देखीं  , मेरे दोस्तों  ?

 

कुछ बोल फिजाओं में गूँजें  ,

कुछ गीत दिलों में संवरे  ,

क्या तुमने सुने  , मेरे दोस्तों  ?

 

अगर तुमने  कुछ  देखा  , तो बताना दोस्तों  ,

अगर तुम कुछ सुनो  , तो सुनाना दोस्तों  ,

हमें भी तुम्हारे जवाब का  ,

इंतजार रहेगा  दोस्तों   ||  

Saturday, November 29, 2025

SHYAAMLII ( AADHYAATMIK )

 

                          श्यामली 

 

श्याम तेरी श्यामली ने , पुकारा है तुझे  ,

आजा तू यहाँ अपनी  , बंसरी बजाते - बजाते  ,

मैं भी डूब जाऊँ तेरी  , बंसरी की धुन में   || 

 

कभी मैं मिल ना पाई हूँ , श्याम तुझसे  ,

ना कभी सामने से बंसरी , सुन पाऊँ तुझको  ,

आज तो मेरी इच्छा को पूरी  ,  तू कर दे   || 

 

तेरे वृंदावन , गोकुल तो , मैं आ ना पाऊँ  ,

बरसाने में , मधुबन में भी  , ना पहुँच पाऊँ  ,

तू ही श्याम अपनी राधा  , और बंसरी संग आजा ना  ,

अपनी श्यामला को  , अपनी  राधा से मिलवा दे ना   || 

 

Friday, November 28, 2025

KARMON KAA BHAAGYA ( KSHANIKAA )

 

                          कर्मों का भाग्य 

 

भाग्य और कर्मों का लेखा  , तुम नहीं बदल सकते  ,

मगर भाग्य और कर्म तुम्हारा , जीवन बदल सकते हैं  ,

अच्छे कर्म और  अच्छा  भाग्य  ,जीवन सुंदर बनाते हैं   || 

 

भाग्य तो अपने हाथ में नहीं होता  ,

मगर कर्म तो  अपने हाथ में होते हैं  ,

हमारी सोच और कोशिशें ही तो  ,

हमारे कर्मों को सुंदर बनाते हैं   || 

 

भाग्य तो हमारे जीवन में ,

पेड़ की जड़ों जैसा काम करते हैं  ,

और कर्म पत्तियों जैसा का  काम करते हैं  ,

जैसे पतझड़ आने पर  , पेड़ पत्तियाँ बदलते हैं  ,

वैसे ही अच्छी सोच से हम , कर्म बदल सकते हैं  ,

जैसे पेड़ जड़ों को नहीं बदल सकते  ,

हम भी अपने भाग्य को , नहीं बदल सकते   || 

 

Thursday, November 27, 2025

DEEMAK ( JIVAN )

 

                           दीमक 

 

दीमक जैसे रिश्ते हों तो  , जीवन को दुःखी बनाते हैं  ,

जैसे दीमक इमारत तोड़ दें  , ये रिश्ते जीवन तोड़ जाते हैं   || 

 

समझ जाओ रिश्तों की गहराई  , मत डूबो भंवर में तुम  ,

जीवन तो तुम्हारा है दोस्तों  , समझ जाओ शब्दों को तुम  || 

 

रंगों से भर लो जीवन को , सुंदर सा जीवन बना लो  ,

जीवन की बगिया में दोस्तों  , प्यार के फूल खिला लो  ,

फूलों की महक से  दोस्तों , जीवन को महका लो   ||  

Wednesday, November 26, 2025

AGALAA JANM ( KSHANIKAA )

     

                           अगला  जन्म 

 

राम  तुम तो अवध के राजा  ,जो सबके आदर्श  ,

प्रजा पालक तो तुम बन गए , ना बने पुत्र पालक  ,

प्रजा तो जय -   जयकार  , करती रही तुम्हारी   || 

 

 मैं तो ना हूँ राम , तुम्हारी सीता जैसी  ,

ना मैं शबरी , ना मैं अहिल्या , ना ही प्रजा तुम्हारी  ,

मैं हूँ आज की नारी , तुम्हारे युग के बहुत बाद की   || 

 

मानती हूँ गुणों  की , खान हो तुम  ,

एक आदर्श पुरुष और , देश - भक्त राजा हो ,

मगर उस अवस्था में पत्नी को ,

त्याग देना क्या उचित था   ?

 

तुम्हारी सोच और मेरी सोच , बिल्कुल अलग हैं  ,

सही गलत का विचार , करना तुम  ,

अगला जन्म जब लोगे तुम , तो सोच बदल लेना ,

सीता जैसी पत्नी तो तुम्हें , शायद ही मिले  ,

जो तुम्हारी हर जायज और नाजायज , आज्ञा का  पालन करे   ||