बदरा की कन्दरा
बदरा ने रोका मेरा , रस्ता यहाँ वहाँ से ,
हँस - हँस के कह रहा था , जाओ न तुम यहाँ से ।
मैं रहता हूँ गगन पे , रहती हो तुम धरा पे ,
रंगीन है वो दुनिया , रहती हो तुम जहाँ पे ,
रह जाओ जिद को छोड़ो , तुम मेरी कन्दरा में ।
मैं हूँ सखा तुम्हारा , तुम हो मेरी सहेली ,
दोनों ही मिल सुलझाएँ , इक प्यार की पहेली ,
दोनों ही डूब जाएँ , प्यारी सी तन्द्रा में ।
दम भर जो तुम रुको तो , पलकें ही मैं बिछाऊँ ,
पाँवों के नीचे तेरे , जन्नत को मैं ले आऊँ ,
सुन्दर सी जिन्दगी है , क्यूँ जाना है यहाँ से ।
भीगा है खुद तो बदरा , मुझको भी है भिगोता ,
सुन्दर से माणिकों को , धागे में है पिरोता ,
जाऊँ तो जाऊँ कैसे ? प्यारी सी कन्दरा में ।
बदरा के प्यार में खो , रह जाऊँ गर यहाँ पे ,
मिल जाएगा ठिकाना , बदरा की कन्दरा में ,
रुक जाएगा समां भी , दोनों की तन्द्रा में ।
बदरा ने रोका मेरा , रस्ता यहाँ वहाँ से ,
हँस - हँस के कह रहा था , जाओ न तुम यहाँ से ।
मैं रहता हूँ गगन पे , रहती हो तुम धरा पे ,
रंगीन है वो दुनिया , रहती हो तुम जहाँ पे ,
रह जाओ जिद को छोड़ो , तुम मेरी कन्दरा में ।
मैं हूँ सखा तुम्हारा , तुम हो मेरी सहेली ,
दोनों ही मिल सुलझाएँ , इक प्यार की पहेली ,
दोनों ही डूब जाएँ , प्यारी सी तन्द्रा में ।
दम भर जो तुम रुको तो , पलकें ही मैं बिछाऊँ ,
पाँवों के नीचे तेरे , जन्नत को मैं ले आऊँ ,
सुन्दर सी जिन्दगी है , क्यूँ जाना है यहाँ से ।
भीगा है खुद तो बदरा , मुझको भी है भिगोता ,
सुन्दर से माणिकों को , धागे में है पिरोता ,
जाऊँ तो जाऊँ कैसे ? प्यारी सी कन्दरा में ।
बदरा के प्यार में खो , रह जाऊँ गर यहाँ पे ,
मिल जाएगा ठिकाना , बदरा की कन्दरा में ,
रुक जाएगा समां भी , दोनों की तन्द्रा में ।
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