खटकाया
बदरा ने द्वार मेरा , खटकाया रात भर ,
हम दोनों के बीच की , दूरी थी हाथ भर ॥
जग न पायी थी मैं , सुन के कोई खटका ,
वरना तो बादलों में , दिल था मेरा अटका,
बदरा ने भी तो किया , इंतजार रात भर ॥
चंदा भी जा छिपा था , बदरा की ओट में ,
बदरा ने दी उसे पनाह , अपनी ही ओट में ,
निकला न बाहर चंदा , रहा पर्दे में रात भर ॥
बदरा के निकले आँसू , भीगा मेरा दरवज्जा ,
सब ओर जल ही जल था , ना थी मेरी तवज्जा ,
इतने पर भी मैं सखि , सोयी रही बेखबर ॥
जग जाती मैं अगर , खुल जाता द्वार मेरा ,
आ जाता बदरा अंदर , फिर पा निमंत्रण मेरा ,
रोना ना पड़ता उसको , बाहर यूँ रात भर ॥
बदरा है दोस्त मेरा , मैं हूँ उसकी सहेली ,
दोनों के बीच में , है ना कोई पहेली ,
दोनों को चाहिए है , दोनों का साथ भर ॥
बदरा ने द्वार मेरा , खटकाया रात भर ॥
बदरा ने द्वार मेरा , खटकाया रात भर ,
हम दोनों के बीच की , दूरी थी हाथ भर ॥
जग न पायी थी मैं , सुन के कोई खटका ,
वरना तो बादलों में , दिल था मेरा अटका,
बदरा ने भी तो किया , इंतजार रात भर ॥
चंदा भी जा छिपा था , बदरा की ओट में ,
बदरा ने दी उसे पनाह , अपनी ही ओट में ,
निकला न बाहर चंदा , रहा पर्दे में रात भर ॥
बदरा के निकले आँसू , भीगा मेरा दरवज्जा ,
सब ओर जल ही जल था , ना थी मेरी तवज्जा ,
इतने पर भी मैं सखि , सोयी रही बेखबर ॥
जग जाती मैं अगर , खुल जाता द्वार मेरा ,
आ जाता बदरा अंदर , फिर पा निमंत्रण मेरा ,
रोना ना पड़ता उसको , बाहर यूँ रात भर ॥
बदरा है दोस्त मेरा , मैं हूँ उसकी सहेली ,
दोनों के बीच में , है ना कोई पहेली ,
दोनों को चाहिए है , दोनों का साथ भर ॥
बदरा ने द्वार मेरा , खटकाया रात भर ॥
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