दोस्त बदरा
कजरारे श्यामल बदरा , पहुँचे मेरे गाँव में ,
थकने पर बैठे हैं बदरा , पीपल की ठंडी छाँव में ॥
मिला ठौर और ठंडी छाया ,
निंदिया का झोंका भरमाया ,
थके हुए बदरा को उसने ,
स्वप्न लोक में पहुँचाया ,
चिड़ियों का कलरव बना लोरियाँ ,
उलझा बदरा सपनों के जाल में ॥
पहर ढली , टूटी निंदिया ,
मिटी थकन , अंगड़ाई ली ,
ढूँढा रस्ता भी आगे का ,
तन्हा , तन्हा , तन्हाई ली ,
आगे बढ़ा पथिक बदरा ,
पहुँच गया फिर ताल में ॥
पानी पी कर प्यास बुझाई ,
ठंडक पानी की उसे सुहाई ,
धन्यवाद फिर दिया ताल को ,
रिमझिम कुछ बूँदें बरसाईं ,
चला जो आगे - आगे बदरा ,
पहुँच गया चौपाल में ॥
सभा विसर्जित हुई वहाँ की ,
बदरा देख छितर गए लोग ,
बदरा आया दोस्त बनाने ,
दूर - दूर को भागे लोग ,
नहीं लोग दिल को देखते ,
समझते तो सोचते , क्या रखा है नाम में ?
कजरारे श्यामल बदरा , पहुँचे मेरे गाँव में ,
थकने पर बैठे हैं बदरा , पीपल की ठंडी छाँव में ॥
मिला ठौर और ठंडी छाया ,
निंदिया का झोंका भरमाया ,
थके हुए बदरा को उसने ,
स्वप्न लोक में पहुँचाया ,
चिड़ियों का कलरव बना लोरियाँ ,
उलझा बदरा सपनों के जाल में ॥
पहर ढली , टूटी निंदिया ,
मिटी थकन , अंगड़ाई ली ,
ढूँढा रस्ता भी आगे का ,
तन्हा , तन्हा , तन्हाई ली ,
आगे बढ़ा पथिक बदरा ,
पहुँच गया फिर ताल में ॥
पानी पी कर प्यास बुझाई ,
ठंडक पानी की उसे सुहाई ,
धन्यवाद फिर दिया ताल को ,
रिमझिम कुछ बूँदें बरसाईं ,
चला जो आगे - आगे बदरा ,
पहुँच गया चौपाल में ॥
सभा विसर्जित हुई वहाँ की ,
बदरा देख छितर गए लोग ,
बदरा आया दोस्त बनाने ,
दूर - दूर को भागे लोग ,
नहीं लोग दिल को देखते ,
समझते तो सोचते , क्या रखा है नाम में ?
No comments:
Post a Comment