इंतज़ार  सेतु  का 
    
    तारों से सजी चूनर ले ,
उतर आया गगन धरा पर ,
झिलमिल चूनर ओढ़ धरा भी ,
सँवर गई दुल्हन बन ॥
   
उतर आया गगन धरा पर ,
झिलमिल चूनर ओढ़ धरा भी ,
सँवर गई दुल्हन बन ॥
   देखा जो सँवरा रूप  उस धरा का ,
मोहित हुए नक्षत्र सारे ,
ईर्ष्यालु हो गए , क्यूँ सँवरी धरा ,
गगन की किस्मत बन ॥
मोहित हुए नक्षत्र सारे ,
ईर्ष्यालु हो गए , क्यूँ सँवरी धरा ,
गगन की किस्मत बन ॥
    हाथों में हाथ धरा - गगन के ,
देखे सभी ने मगर ,
मिलने नहीं देना चाहते थे ,
दोनों को साथी बन ॥
  
देखे सभी ने मगर ,
मिलने नहीं देना चाहते थे ,
दोनों को साथी बन ॥
    दोनों थे एक मगर ,
दुश्मन थे हजार ,
कोशिशें मिलने की ,
हो गयीं बेकार ॥
 
दुश्मन थे हजार ,
कोशिशें मिलने की ,
हो गयीं बेकार ॥
    आये सभी बीच में ,
दुनिया को लाए बीच में ,
दोनों रह गए उस नयी ,
दुनिया के दो किनारों पर ॥
  
दुनिया को लाए बीच में ,
दोनों रह गए उस नयी ,
दुनिया के दो किनारों पर ॥
     इंतज़ार है आज भी ,
उस सेतु का जो ,
मिला दे दोनों को ,
सच्चा हमदर्द बन ॥
   
उस सेतु का जो ,
मिला दे दोनों को ,
सच्चा हमदर्द बन ॥
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