तन्हा चाँद
बदरा ने छिपा लिया तारों का झुरमुट ,
चाँद तन्हा ही चमकता रहा गगन में ।
चाँदनी छम से उतर आयी धरा पे ,
देती रही ठंडक जो सुलगते रहे अगन में ॥
चाँदी की तरह चमकी धरा रात भर ,
रंग उसके सभी खो गए चाँदी की चमक में ।
रात की स्याही में डूबे सभी रंग ,
दिन के उजाले में जो चमके थे नयन में ॥
नन्हें तारे करते रहे अठखेलियाँ ,
छिपे हुए मगर वो बदरा के अँचल में ।
चाँद जाना नहीं साथ क्या , किसी का ?
तन्हा ही रहा जीवन भर गगन के आँगन में ॥
बदरा ने छिपा लिया तारों का झुरमुट ,
चाँद तन्हा ही चमकता रहा गगन में ।
चाँदनी छम से उतर आयी धरा पे ,
देती रही ठंडक जो सुलगते रहे अगन में ॥
चाँदी की तरह चमकी धरा रात भर ,
रंग उसके सभी खो गए चाँदी की चमक में ।
रात की स्याही में डूबे सभी रंग ,
दिन के उजाले में जो चमके थे नयन में ॥
नन्हें तारे करते रहे अठखेलियाँ ,
छिपे हुए मगर वो बदरा के अँचल में ।
चाँद जाना नहीं साथ क्या , किसी का ?
तन्हा ही रहा जीवन भर गगन के आँगन में ॥
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