बालियाँ
सुनहरे से खेतों में , झूमतीं हैं बालियाँ ,
अनगिनत गेहूँ के दाने , उगलतीं हैं बालियाँ ॥
मेहनतकश ने रात - दिन , बिखराया परिश्रम अपना ,
उसके पसीने के नमकीन कणों से , सिंचतीं हैं बालियाँ ॥
पवन के साथ -साथ , मस्ती में हैं झूमतीं ,
मस्त - मस्त हो सभी , झूलतीं हैं बालियाँ ॥
बालियों को छूने में , अहसास नया होता है ,
हल्की सी छुअन से , सरसराती है बालियाँ ॥
सूरज की धूप से , पक रहे हैं दाने ,
गर्मी से राहत उनको , दिलाती हैं बालियाँ ॥
ये प्यार है धरा का , जीवन सभी को मिलता ,
माँ की ममता का ही ,दूजा रूप हैं बालियाँ ॥
सुनहरे से खेतों में , झूमतीं हैं बालियाँ ,
अनगिनत गेहूँ के दाने , उगलतीं हैं बालियाँ ॥
मेहनतकश ने रात - दिन , बिखराया परिश्रम अपना ,
उसके पसीने के नमकीन कणों से , सिंचतीं हैं बालियाँ ॥
पवन के साथ -साथ , मस्ती में हैं झूमतीं ,
मस्त - मस्त हो सभी , झूलतीं हैं बालियाँ ॥
बालियों को छूने में , अहसास नया होता है ,
हल्की सी छुअन से , सरसराती है बालियाँ ॥
सूरज की धूप से , पक रहे हैं दाने ,
गर्मी से राहत उनको , दिलाती हैं बालियाँ ॥
ये प्यार है धरा का , जीवन सभी को मिलता ,
माँ की ममता का ही ,दूजा रूप हैं बालियाँ ॥
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