Tuesday, June 24, 2014

JAN __ SEVAK

                                       जन -- सेवक 
            मात -पिता ने जन्म दिया , बोलना -चलना सभी सिखाया ,
                 जीवन - रक्षक बने डॉक्टर , सबको है रोगों से बचाया |
            गिरा या गाड़ी से टकराया , मानो टूटे अंग कई ,
                   तो दर्द -औ -अंगों की टूटन से ,डॉक्टर ने ही बचाया |
            जन्मे रोग अगर अन्दर से , जाना उनको डॉक्टर ने ,
                   रोग दिखाई ना दे ऐसे , रोगों से भी हमें बचाया |
            रफ़्तार बढ़ गयी अगर रक्त की , मानो या वह हो गयी कम ,
                    बढ़ती -घटती गति को भी तो , डॉक्टर ने ही सही कराया |
            है दिमाग की उपज संतुलन , जो सब अंगों का काम चले ,
                    देखे रात में मीठे सपने , और दिवस का कार्य चले |
            पढ़ा डॉक्टर ने दिमाग को , जान गया वह सपनों को ,
                    किया संतुलित सब अंगों को , जिससे मानव हुआ सुखी |
              ऐसे जीवन - रक्षक ,  जन - सेवक , हर डॉक्टर को मेरा प्रणाम |
                                    शत - शत प्रणाम |   शत - शत प्रणाम |        

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