बहाव
सागर के सीने पे बहती चली मैं ,
पैरों में बाँधे लहरों की पायल ,
उड़ते हवा के साथ हैं दोनों ,
मेरा और सागर का आँचल ॥
सूरज की रश्मियाँ हैं थिरकतीं ,
सागर के आँचल को जगमगातीं ,
लहरों को झकझोरा है इस पवन ने ,
उड़ता रहा सागर का आँचल ॥
दिल जो रहा लहरों संग मचलता ,
धक - धक बढ़ी लहरों संग - संग ,
लहरों की बहती हुई आरज़ू में ,
खिलने लगा धड़कन का भी रंग ॥
रखे पाँव लहरों पे , छुअन लहर की ,
गुदगुदाती गई पाँवों के तलवे ,
पाँवों के नीचे की दुनिया ,
ओझल हैं रत्नाकर के जलवे ॥
सागर के सीने पे बहती चली मैं ,
पैरों में बाँधे लहरों की पायल ,
उड़ते हवा के साथ हैं दोनों ,
मेरा और सागर का आँचल ॥
सूरज की रश्मियाँ हैं थिरकतीं ,
सागर के आँचल को जगमगातीं ,
लहरों को झकझोरा है इस पवन ने ,
उड़ता रहा सागर का आँचल ॥
दिल जो रहा लहरों संग मचलता ,
धक - धक बढ़ी लहरों संग - संग ,
लहरों की बहती हुई आरज़ू में ,
खिलने लगा धड़कन का भी रंग ॥
रखे पाँव लहरों पे , छुअन लहर की ,
गुदगुदाती गई पाँवों के तलवे ,
पाँवों के नीचे की दुनिया ,
ओझल हैं रत्नाकर के जलवे ॥
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