बंजारा बदरा
क्यों बदरा तुम उड़ते जाते ,
द्वार से मेरे मुड़ते जाते ,
क्यों बदरा तुम उड़ते जाते ,
द्वार से मेरे मुड़ते जाते ,
आजाओ तुम मेरे पास ,
खुला हुआ है मेरा द्वार ॥
घड़ी दो घड़ी साथ बिताओ ,
साथ चाय की चुस्की पाओ ,
बन जाओ तुम सखा मेरे ,
दोस्ती की रीति अपनाओ ॥
क्यों फिरते अकेले यूँ ,
आ जाओ तो साथ मेरे ,
घर मिल जाएगा तुमको भी ,
तुम भी तो पक्की छत पाओ ॥
प्यार कभी ना पाया तुमने ,
पालो तुम मेरा ही प्यार ,
जीवन खिल जाएगा बदरा ,
प्यार मेरा जो पा जाओ ॥
ख़त्म करो बंजारा जीवन ,
अब मैं हूँ जो साथ तेरे ,
मैं हो गई हूँ बदरा तेरी ,
तुम बाँहों में आ जाओ ॥
खुला हुआ है मेरा द्वार ॥
घड़ी दो घड़ी साथ बिताओ ,
साथ चाय की चुस्की पाओ ,
बन जाओ तुम सखा मेरे ,
दोस्ती की रीति अपनाओ ॥
क्यों फिरते अकेले यूँ ,
आ जाओ तो साथ मेरे ,
घर मिल जाएगा तुमको भी ,
तुम भी तो पक्की छत पाओ ॥
प्यार कभी ना पाया तुमने ,
पालो तुम मेरा ही प्यार ,
जीवन खिल जाएगा बदरा ,
प्यार मेरा जो पा जाओ ॥
ख़त्म करो बंजारा जीवन ,
अब मैं हूँ जो साथ तेरे ,
मैं हो गई हूँ बदरा तेरी ,
तुम बाँहों में आ जाओ ॥
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