बगीचा बादलों का
ये बगीचा बादलों का ,
चम - चम रुपहले बादलों का ,
घास भी चम - चम रुपहली ,
बादलों की पर्त जैसे ।
पेड़ - पौधे बादलों के ,
झाड़ियाँ हैं बादलों की ,
छोटे पौधे बादलों के ,
कुछ बड़े हैं पेड़ जैसे ।
कुछ उगे क्यारी में हैं ,
कुछ घने जंगल हों जैसे ,
ऊँचे टीले भी बने हैं ,
रूप उनका भी वही है ,
आज पहली बार मैं ,
पहुँची हुई हूँ मैं यहाँ ।
चारों तरफ बदरा के पौधे ,
चारों तरफ बदरा के फूल ,
इतना सुंदर ये बगीचा ,
मैं गई दुनिया को भूल ।
पाँव के नीचे की घास ,
बदरा की जैसे परत ,
करती है ये तो गुदगुदी ,
धीरे से तलवों को मेरे ।
काश बदरा बनता आँचल ,
आज इस बागीचे में ,
ओढ़ लेती उसको मैं ,
सो जाती इस बागीचे में ।
ये बगीचा बादलों का ,
चम - चम रुपहले बादलों का ,
घास भी चम - चम रुपहली ,
बादलों की पर्त जैसे ।
पेड़ - पौधे बादलों के ,
झाड़ियाँ हैं बादलों की ,
छोटे पौधे बादलों के ,
कुछ बड़े हैं पेड़ जैसे ।
कुछ उगे क्यारी में हैं ,
कुछ घने जंगल हों जैसे ,
ऊँचे टीले भी बने हैं ,
रूप उनका भी वही है ,
आज पहली बार मैं ,
पहुँची हुई हूँ मैं यहाँ ।
चारों तरफ बदरा के पौधे ,
चारों तरफ बदरा के फूल ,
इतना सुंदर ये बगीचा ,
मैं गई दुनिया को भूल ।
पाँव के नीचे की घास ,
बदरा की जैसे परत ,
करती है ये तो गुदगुदी ,
धीरे से तलवों को मेरे ।
काश बदरा बनता आँचल ,
आज इस बागीचे में ,
ओढ़ लेती उसको मैं ,
सो जाती इस बागीचे में ।
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